किसान संगठन बोले- शांतिपूर्ण होगा 27 सितंबर का भारत बंद, दिशानिर्देश जारी
क्या है खबर?
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।
शुक्रवार को किसान संयुक्त मोर्चा ने इसके लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि इस दौरान शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया जाएगा और आम लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
मोर्चा ने समाज के सभी वर्गों से किसानों के साथ आकर इसका प्रचार करने को कहा है ताकि लोगों को पहले से इसकी जानकारी मिल सके।
जानकारी
27 सितंबर को सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक होगा भारत बंद
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत बंद के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के कार्यालयों, बाजार, दुकानों, फैक्ट्रियों, स्कूल, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में कामकाज नहीं होने दिया जाएगा।
यह 27 सितंबर को सुबह 6 बजे से शुरू होकर शाम के 4 बजे तक चलेगा।
इस दौरान सरकारी और निजी परिवहन को बाधित किया जाएगा। साथ ही किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम को नहीं होने दिया जाएगा।
भारत बंद
आपातकालीन सेवाओं पर नहीं होगी कोई रोक
बंद के दौरान दमकल, पुलिस और स्वास्थ्य जैसी आपात सेवाओं पर कोई रोक नहीं रहेगी।
किसान संगठन 20 सितंबर को मुंबई में बैठक कर भारत बंद की योजना बनाएंगे और उसी दिन उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 'किसान मजदूर महापंचायत' का आयोजन किया जाएगा। 22 सितंबर को उत्तराखंड के रुड़की में 'किसान महापंचायत' आयोजित की जाएगी।
किसानों का कहना है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है, जिस कारण वो आंदोलन करने को मजबूर हैं।
जानकारी
22 सितंबर से प्रदर्शन स्थलों पर होगी कबड्डी लीग
आंदोलनकारी 22 सितंबर से दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पांच दिवसीय कबड्डी प्रतियोगिता का भी आयोजन करेंगे, जिसमें अलग-अलग राज्यों की टीमें हिस्सा लेंगी और विजेता टीम को नकद ईनाम दिया जाएगा।
किसान आंदोलन
5 सितंबर को किया गया था भारत बंद का ऐलान
5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में भारत बंद का आह्वान किया गया था। बता दें कि किसानों ने पिछले साल 26 नवंबर से अपने आंदोलन की शुरुआत की थी और 26 सितंबर को उनके आंदोलन को 10 महीने पूरे हो रहे हैं।
महापंचायत में किसानों ने ऐलान किया था कि कानून वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा और वो अब इसे हर गांव तक लेकर जाएंगे।
किसान आंदोलन
ये है किसान आंदोलन की वजह
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।