बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर किया साफ, जहरीली शराब पीकर मरने पर नहीं मिलेगा मुआवजा
क्या है खबर?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से साफ किया कि जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
मुद्दे पर राज्य विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा, "दारू पीकर मरेगा तो हम उसके मुआवजा देंगे? सवाल ही नहीं पैदा होता, ये कभी मत सोचिए... ये सब बात ठीक नहीं है। पीएगा, गड़बड़ा पीएगा, मरेगा।"
उन्होंने कल भी कहा था कि कोई शराब पीएगा तो मरेगा ही।
बयान
शराबबंदी के बाद कम हुई है जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या- नीतीश
विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान नीतीश ने जहरीली शराब से मौत के मुद्दे पर सरकार का बचाव भी किया।
उन्होंने कहा कि बिहार में जहरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या शराबबंदी के बाद कम हुई है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, वहां भी जहरीली शराब पीकर लोग रहे हैं और मध्य प्रदेश इसमें शीर्ष पर है।
उन्होंने कहा कि भाजपा बस हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने का काम करती है।
राजनीति
छपरा में जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत पर गरमाई हुई है सियासत
बता दें कि छपरा में जहरीली शराब के सेवन से लगभग 60 लोगों की मौत से बिहार की सियासत गरमाई हुई है।
भाजपा ने इसके लिए नीतीश की शराबबंदी की नीति को जिम्मेदार ठहराया है और उन पर हमलावर बनी हुई है।
भाजपा ने मुद्दे को लेकर विधानसभा में भी जमकर हंगामा किया है और आज उसका एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलेगा।
भाजपा नेताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।
पलटवार
भाजपा के आरोपों पर नीतीश का क्या कहना है?
नीतीश भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कह चुके हैं कि सरकार शराबबंदी की नीति को वापस नहीं लेगी और जिन राज्यों में शराबबंदी नहीं है, वहां भी जहरीली शराब से लोगों की मौत होती है।
कल मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार ने जहरीली शराब के खिलाफ कई एक्शन लिए हैं।
इससे पहले बुधवार को विधानसभा में गुस्सा करते हुए उन्होंने भाजपा विधायकों को शराबी कह डाला था।
शराबबंदी कानून
क्या है बिहार का शराबबंदी कानून?
बिहार में 1 अप्रैल, 2016 से शराबबंदी लागू है। इसके तहत राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
राज्य में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से राजस्व के भारी नुकसान की अनदेखी करते हुए सरकार ने शराबबंदी लागू की थी।
हालांकि शराबबंदी के कारण राज्य में जहरीली शराब की बिक्री बढ़ गई है और इसके सेवन से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।