कैसे सोनिया गांधी को नीतीश कुमार की एक कॉल से बदला बिहार का राजनीतिक परिदृश्य?
क्या है खबर?
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ मुख्य विपक्षी पार्टी RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई है और इससे बिहार का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को किए गए नीतीश के एक फोन कॉल से राज्य की राजनीति में इस बड़े तख्तापलट की शुरूआत हुई।
रिपोर्ट
सोनिया के कोरोना संक्रमित होने पर नीतीश ने की थी शिष्टाचार कॉल
बिहार से आने वाले कांग्रेस के एक शीर्ष सूत्र ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि बिहार में राजनीतिक बदलाव की शुरूआत एक शिष्टाचार कॉल से हुई।
दरअसल, सोनिया गांधी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर नीतीश ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए उन्हें फोन किया था।
सोनिया जून की शुरूआत में कोरोना से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें पूरी तरह ठीक होने में 20 से 30 दिन लगे थे। नीतीश ने इसी दौरान फोन किया था।
रिपोर्ट
नीतीश ने सोनिया से कहा- भाजपा डाल रही दबाव, पार्टी तोड़ने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, कॉल के दौरान नीतीश ने सोनिया से भाजपा द्वारा उन पर डाले जा रहे दबाव के बारे में बात की और कहा कि भाजपा उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने बिहार में बदलाव के लिए सोनिया से सहयोग मांगा, जिस पर सोनिया ने उन्हें राहुल गांधी से भी बात करने को कहा।
राहुल से संपर्क RJD नेता तेजस्वी यादव ने किया, जिन्होंने राज्य प्रभारी भक्त चरण दास को सारी जिम्मेदारी दे दी।
आंकड़े
बड़ा बहुमत चाहते थे नीतीश, ताकि भाजपा न गिरा सके सरकार
तीनों पार्टियों के बीच सहमति बनने के बाद बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हुई और सरकार के गठन से संबंधित बारीकियों पर चर्चा हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, नीतीश ऐसा बहुमत चाहते थे कि भाजपा किसी भी तरह से सरकार को गिरा न सके। इसी कारण वह उनके समर्थक विधायकों की संख्या 164 तक पहुंचने और कांग्रेस और लेफ्ट के भी साथ आने तक चुप रहे।
आंकड़े जुटने के बाद उन्होंने बेहद तेजी से भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया।
मंत्रालय
मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर भी बनी सहमति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महागठबंधन में शामिल पार्टियों में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर सहमति भी पहले ही बन चुकी थी।
इसी सहमति के मुताबिक नीतीश मुख्यमंत्री और तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने हैं। मंत्रालयों का बंटवारा नीतीश अपने हिसाब से कर सकेंगे।
स्पीकर तेजस्वी की RJD से होगा। गृह मंत्रालय नीतीश खुद अपने पास सकते हैं। कांग्रेस को दो-तीन मंत्रालय दिए जा सकते हैं।
हालांकि अभी तक इस दिशा में कोई भी आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।
कारण
नीतीश ने भाजपा से गठबंधन क्यों तोड़ा?
यूं तो नीतीश और भाजपा के संबंध 2019 लोकसभा चुनाव से ही सहज नहीं रहे हैं, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम नीतीश के उत्तराधिकारी रहे आरसीपी सिंह को लेकर पैदा हुआ है।
JDU का आरोप है महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह भाजपा सिंह के द्वारा JDU को भी तोड़ने की कोशिश कर रही थी और नीतीश को इसकी भनक लग गई थी।
इसके अलावा नीतीश अमित शाह के बिहार को रिमोट कंट्रोल करने की कोशिश करने से भी नाराज थे।