25 साल बाद लालू के साथ आए शरद यादव, अपनी पार्टी का RJD में विलय किया
बिहार के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने आज अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में विलय करने का ऐलान किया। इसी के साथ दशकों बाद शरद यादव और लालू एक साथ आ गए हैं। 1997 में दोनों के रास्ते तब अलग हो गए थे जब लालू ने जनता दल से अलग होकर अपनी अलग पार्टी RJD बना ली थी और शरद ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) का गठन किया था।
विलय विपक्षी एकता की तरफ पहला कदम- शरद यादव
विलय के बाद शरद यादव ने कहा कि ये विपक्षी एकता की तरफ पहला कदम है। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, उन्होंने कहा, "ये जरूरी है कि भाजपा को हराने के लिए पूरा विपक्ष एक साथ आए। अभी के लिए एकता हमारी प्राथमिकता है। इसके बाद ही हम सोचेंगे कि एकजुट विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा।" उन्होंने कहा कि वे एक जैसी विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाने की दिशा में काफी समय से काम कर रहे हैं।
तेजस्वी ने शरद यादव को बताया पिता तुल्य
लालू यादव के जेल जाने के बाद RJD का नेतृत्व कर रहे उनके बेटे तेजस्वी यादव ने शरद यादव का स्वागत करते हुए कहा, "हर कोई भारतीय राजनीति में दिग्गज समाजवादी शरद पवार की अहमियत जानता है। वह पिता तुल्य हैं और हमारा मार्गदर्शन करेंगे।"
शरद यादव ने 2018 में किया था LJD का गठन
बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ जाने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद शरद यादव 2017 में JDU से अलग हो गए थे। मई, 2018 में उन्होंने पूर्व सांसद अली अनवर के साथ मिलकर LJD का गठन किया, लेकिन पार्टी ने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा। 2019 लोकसभा चुनाव में शरद खुद RJD की टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
खत्म होने की कगार पर है लालू और शरद दोनों का राजनीतिक करियर
LJD का RJD में ये विलय ऐसे समय पर हुआ है जब लालू और शरद यादव दोनों का राजनीतिक करियर खत्म होने की कगार पर है। जहां लालू चारा घोटाले के मामले में पिछले कई सालों से जेल में ही हैं और कुछ महीनों के लिए ही बाहर आए हैं, वहीं शरद भी स्वास्थ्य कारणों की वजह से ज्यादा सक्रिय नहीं रहे हैं। शरद खास जनाधार वाले नेता भी नहीं हैं और उनका प्रभाव केवल मधेपुरा तक सीमित रहा है।
शरद को राज्यसभा भेजे जाने की अटकलें
इस विलय की मदद से शरद यादव अपने राजनीतिक महत्व को एक बार फिर से पाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि इस विलय के बाद RJD शरद को राज्यसभा भेज सकती है। अभी तक इस संदर्भ में कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि अगर RJD ऐसा करती है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि लालू को पहली बार मुख्यमंत्री बनवाने में शरद की अहम भूमिका रही थी।