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नवीन पटनायक ने रिकॉर्ड पांचवीं बार ली ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ

नवीन पटनायक ने रिकॉर्ड पांचवीं बार ली ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ

May 29, 2019
11:20 am

क्या है खबर?

बीजू जनता दल (BJD) प्रमुख नवीन पटनायक ने आज रिकॉर्ड लगातार पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राजधानी भुवनेश्वर में सुबह हुए सार्वजनिक कार्यक्रम में पटनायक ने अपने 20 मंत्रियों के साथ शपथ ली। 72 वर्षीय पटनायक किसी भी राज्य के 5 बार मुख्यमंत्री बनने वाले भारत के मात्र तीसरे मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु और सिक्किम में पवन चामलिंग 5 बार मुख्यमंत्री बने थे।

ट्विटर पोस्ट

लगातार पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने नवीन पटनायक

ओडिशा सरकार मंत्रीमंडल

मंत्रीमंडल में नए-पुराने चेहरों का मिश्रण

इससे पहले ओडिशा के राज्यपाल गणेश लाल ने मंगलवार शाम को पटनायक की सिफारिश पर 11 कैबिनेट मंत्रियों और 9 राज्य मंत्रियों की नियुक्ति की थी। इन सभी ने आज शपथ ली। मुख्यमंत्री समेत 21 सदस्यों के मंत्रीमंडल में पुराने और नए चेहरों का संयोजन बनाया गया है। 11 कैबिनेट मंत्रियों में से नाबा किशोर दास और टुकुनी साहू को छोड़कर बाकी सभी पुराने चेहरे हैं। वहीं, सभी 9 राज्य मंत्रियों में अशोक पांडा को छोड़कर सभी नए चेहरे हैं।

जानकारी

शपथ ग्रहण में शामिल हुए 5000 लोग

कई प्रसिद्ध कलाकारों और महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों सहित कुल 5000 से अधिक लोगों शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई विपक्षी नेताओं को भी न्यौता भेजा था।

आत्मविश्वास

प्रचार के दौरान ही दे दिया था प्रधानमंत्री मोदी को न्यौता

प्रधानमंत्री मोदी को पटनायक का न्यौता इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान ही उन्होंने राज्य में अपनी सरकार बनने का दावा करते हुए मोदी को शपथ ग्रहण का न्यौता दे दिया था। एक सभा में उन्होंने कहा था, "तीसरे चरण के मतदान तक ही BJD को राज्य में पहले ही बहुमत मिल चुका है। मैं विनम्रतापूर्वक उन्हें (मोदी) को नई BJD सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आने का न्यौता देता हूं।"

चुनाव परिणाम

पटनायक ने मजबूती के साथ की सत्ता में वापसी

लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा चुनाव में BJD ने राज्य की 146 सीटों में से 112 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी को 23 सीटें मिलीं थीं। भाजपा के उभार और BJD के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के कारण कई विश्लेषकों ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा रहने की भविष्यवाणी की थी। लेकिन पटनायक की BJD ने सभी को गलत साबित कर दिया और 2014 के मुकाबले उसकी महज 5 सीटें कम आईं।