मंत्रियों के नाम फाइनल करने के लिए मोदी से मिले अमित शाह, पांच घंटे चली बैठक
चुनावी नतीजेे आने के बाद अब सरकार गठन की तैयारी शुरू हो चुकी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कैबिनेट मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए बैठक की। बताया जा रहा है कि यह बैठक पांच घंटे चली और इसमें उन मंत्रियों के नाम फाइनल किए गए हैं जो प्रधानमंत्री मोदी के साथ 30 मई को शपथ लेंगे। इस बार सरकार में कई नए चेहरे दिख सकते हैं।
अमित शाह के नाम पर सस्पेंस जारी
इस बात पर सबकी निगाहें टिकी हैं कि अमित शाह मोदी मंत्रीमंडल में शामिल होंगे या नहीं। कुछ लोग कह रहे हैं कि अमित शाह गृहमंत्री बन सकते हैं। वहीं ऐसी भी खबरें हैं कि पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि अमित शाह पार्टी अध्यक्ष के पद पर बने रहे। उनका मानना है कि अगले एक-दो सालों में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए अमित शाह के नेतृत्व की जरूरत बनी रहेगी।
बदल सकते हैं अहम मंत्रालयों के मंत्री
मंत्रीमंडल की अंतिम तस्वीर तो शपथ के बाद ही पता चलेगी, लेकिन इस बार वित्त, गृह, रक्षा और विदेश मंत्री के तौर पर नए चेहरे देखने को मिलेंगे। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था, इसलिए उनकी जगह नया चेहरा आना तय है। वहीं अरुण जेटली के भी मंत्रीमंडल में शामिल नहीं होने की चर्चाएं चल रही है। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों के चलते इस बार जेटली सरकार में शामिल नहीं होंगे।
राजनाथ बनेंगे लोकसभा स्पीकर?
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह को लोकसभा स्पीकर बनाया जा सकता है। अगर अमित शाह गृहमंत्री बनते हैं तो राजनाथ को लोकसभा स्पीकर बनाया जा सकता है। इसे लेकर पार्टी और संघ के कई बड़े नेताओं ने राजनाथ से मुलाकात की है। अगर राजनाथ लोकसभा स्पीकर बनते हैं तो पार्टी उनके बेटे पंकज सिंह को योगी सरकार में मंत्री पद दे सकती है। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
इन राज्यों का बढ़ेगा प्रतिनिधित्व
भाजपा के सहयोगी दलों शिवसेना और जनता दल (यू) के हिस्से में कुछ मंत्री पद जा सकते हैं। पश्चिम बंगाल से इस बार मंत्रीमंडल में कई नई चेहरे हो सकते हैं। भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर रही है। इसके अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए मंत्रीमंडल में इन राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना है। वहीं पूर्वोत्तर से भी नए चेहरे मंत्रीमंडल में हो सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन में होगा शपथ ग्रहण समारोह
प्रधानमंत्री मोदी अपने कैबिनेट के सदस्यों के साथ 30 मई को शाम 7 बजे शपथ लेंगे। इस समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव समेत कई दिग्गज राजनेता शामिल हो सकते हैं।
BIMSTEC देशों के नेता होंगे शामिल
भारत की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए BIMSTEC देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, BIMSTEC नेताओं को सरकार की 'पड़ोसी प्रथम' नीति के तहत आमंत्रित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मौजूदा अध्यक्ष व किर्गिस्तान के राष्ट्रपति और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रण भेजा है। सभी देशों ने इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
क्या है BIMSTEC?
BIMSTEC का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्नीकल एंड इकॉनॉमिक कॉर्पोरेशन' है। इसमें बंगाल की खाड़ी से जुड़े भारत के पड़ोसी देश शामिल है। इसमें पाकिस्तान और मालदीव शामिल नहीं है। BIMSTEC के सदस्यों देशों में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान है। इन देशों के बड़े नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया है। 2014 में इस समारोह के लिए SAARC देशों के नेताओं को बुलाया गया था।
यह होगा शपथ ग्रहण समारोह का कार्यक्रम
शपथ ग्रहण समारोह को 2014 के समारोह की तरह ही रखा जाएगा। मेहमानों के आने के बाद कुछ भाषण होंगे और उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य शपथ लेंगे। इसके बाद आमंत्रित मेहमानों के साथ प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का फोटो सेशन होगा। औपचारिकताएं होने के बाद राष्ट्रपति भवन में डिनर का कार्यक्रम है। इस दिन किसी द्विपक्षीय बैठक का कार्यक्रम नहीं है। अगले दिन कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक हो सकती है।
चुनाव जीतकर भाजपा ने रचा था इतिहास
लोकसभा चुनाव के परिणाम में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटों पर कब्जा किया और उसके नेतृत्व वाले NDA को 351 सीटें हासिल हुई हैं। वहीं, कांग्रेस महज 52 सीटों पर सिमट कर रह गई और खुद राहुल गांधी अमेठी में हार गए। इसी के साथ नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं। 2014 में 31 प्रतिशत के मुकाबले भाजपा को इस बार 37.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए।