मछली बेचने से लेकर देश पर जान न्यौछावर करने तक, शहीद जवान का प्रेरणादायी जीवन सफर
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान बबलू संतरा की कहानी जीवन की समस्याओं से लड़ कर आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। कभी पश्चिम बंगाल के हावड़ा की गलियों में मछली बेचने वाले बबलू अपनी मेहनत के बल पर CRPF में हवलदार बने और अब देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। आइए भारत माता के इस वीर सपूत की जिंदगी के बारे में जानते हैं।
पिता के देहांत के बाद मछली बेचकर चलाया परिवार
बबलू (39 वर्ष) हावड़ा के बौरिया गांव के रहने वाले थे। जीवन के साथ उनका संघर्ष बेहद कम उम्र में ही शुरु हो गया था। वह मात्र 13 साल के थे जब उनके पिता का देहांत हुआ। पिता के गुजरने के बाद अपने परिवार को चलाने के लिए बबलू ने उलुबेरिया के बाजार में मछली बेचना शुरु किया। इसी काम के जरिए उन्होंने खुद 12वीं तक की पढ़ाई की और 4 बहनों और 1 बेटी का पालन पोषण किया।
दिसंबर में आखिरी बार आए थे घर
बबलू की शहादत के बाद उनके पीछे उनके परिवार में मां, पत्नी, एक भाई, बहनें और 6 वर्षीय बेटी रह गए हैं। वह आखिरी बार पिछले साल दिसंबर में अपनी बेटी का जन्मदिन बनाने के लिए घर आए थे और 15 दिन रहे थे। बबलू के भाई ने बताया कि उनकी आखिरी बार बुधवार को बबलू से बात हुई थी, जब वह हिमाचल प्रदेश से ट्रेनिंग करने के बाद कश्मीर पहुंचा था।
अगले साल रिटायरमेंट लेने की थी योजना
अपने इलाके के कुशल वॉलीबॉल खिलाड़ी बबलू को पहली बार 1999 में CRPF में नौकरी मिली थी, लेकिन कम उम्र के कारण वह संगठन से नहीं जुड़ पाए। अगले ही साल बबलू को दोबारा CRPF में हवलदार के पद पर नौकरी मिल गई। बबलू के भाई ने कहा, "इस साल उसके नौकरी में 20 साल पूरे होने वाले थे और वह इसके बाद घर वापस आने की योजना बना रहा था।" बबलू का रिटायरमेंट अगले साल के लिए निर्धारित था।
मां और पत्नी का बुरा हाल
मां बोनोमाला संतरा बेटे के शहीद होने की खबर आने के बाद से ही रोते हुए अपने बेटे के लिए न्याय की मांग कर रही हैं। वहीं, उनकी पत्नी मीता संतरा खबर आने के बाद से घर से बाहर नहीं निकली हैं। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि गुरुवार को उनको कश्मीर से फोन आया और उन्होंने मीता का नंबर मांगा था। इसके बाद परिवार वाले डर गए क्योंकि तब तक CRPF पर हमले की खबर फैल चुकी थी।
सदमे में है परिवार
शुक्रवार सुबह परिवार को CRPF से जानकारी मिली कि बबलू हमले में शहीद हो गए हैं। एक संबंधी ने बताया कि पहले विकृत होने के कारण उसकी लाश पहचान में नहीं आ रही थी, लेकिन बाद में इसकी पहचान कर ली गई। बबलू के साले इंद्रजीत संतरा ने कहा कि बबलू ने आखिरी बार बुधवार शाम को परिवार से बात की थी। उन्होंने बताया कि घटना से पूरा परिवार सदमे में है।