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कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में आए मिलिंद देवड़ा 20 साल में पहली बार नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव 
मिलिंद देवड़ा लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे

कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में आए मिलिंद देवड़ा 20 साल में पहली बार नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव 

May 01, 2024
02:29 pm

क्या है खबर?

इसी साल कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए महाराष्ट्र के दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल में यह पहली बार होगा जब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और 44 साल में पहली बार वह और उनके पिता में से कोई भी दक्षिण मुंबई से चुनाव नहीं लड़ेगा। बता दें कि शिवसेना ने दक्षिण मुंबई सीट से यामिनी जाधव को टिकट दिया है।

बयान

देवड़ा ने क्या कहा?

देवड़ा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'एक उम्मीदवार के रूप में लगातार 4 चुनावों के बाद मैं मुंबई, महाराष्ट्र और बाकी जगहों पर नरेंद्र मोदी जी और एकनाथ शिंदे जी का प्रचार करने के लिए उत्सुक हूं। मैं दक्षिण मुंबई के नागरिकों को आश्वासन देता हूं कि राज्यसभा सांसद के तौर पर मैं अपनी पूरी क्षमता से उनकी प्रतिनिधित्व करता रहूंगा। आपका समर्थन ही मेरे लिए सब कुछ है।'

दल-बदल

जनवरी में कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए थे देवड़ा

बता दें कि देवड़ा इसी साल जनवरी में कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए थे। वह और उनका परिवार 55 साल से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था। पहले उनके पिता कांग्रेस की टिकट पर दक्षिण मुंबई से चुनाव लड़ते थे, लेकिन 2004 से देवड़ा लड़ने लगे। वह 2004 और 2009 में यहां से सांसद चुने गए, लेकिन 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा।

सवाल

दक्षिण मुंबई सीट के लिए ही देवड़ा ने छोड़ी थी कांग्रेस

माना जाता है कि देवड़ा दक्षिण मुंबई से टिकट न मिलने के कारण ही कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में आए थे, लेकिन अब उन्हें शिवसेना ने भी यह सीट नहीं दी है। दरअसल, पिछले 2 चुनाव हारने के बाद भी वे इस बार भी इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन INDIA गठबंधन के तहत ये सीट उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना को मिल गई। इसी कारण देवड़ा ने पाला बदल दिया और शिवसेना में आ गए।

परिचय

कौन हैं देवड़ा?

देवड़ा दिग्गज कारोबारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता मुरली देवड़ा के बेटे हैं। 2004 में उन्होंने पहली बार मुंबई दक्षिण सीट से भाजपा प्रत्याशी को हराकर लोकसभा चुनाव जीता था। 2009 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की, लेकिन 2014 और 2019 में चुनाव हार गए। वे रक्षा, नागरिक उड्डयन, योजना, शहरी विकास, सूचना और प्रौद्योगिकी के राज्य मंत्री रह चुके हैं और कई संसदीय समितियों के भी सदस्य रहे हैं।