चक्रवात फेनी पर प्रधानमंत्री मोदी के फोन का ममता बनर्जी ने नहीं दिया जवाब
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चक्रवाती तूफान फेनी के बारे में विचार विमर्श करने के लिए फोन किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से मामले पर बात की। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने वाले फेनी में करोड़ो रुपये के नुकसान के साथ एक दर्जन लोगों के मारे जाने की खबर है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के काम की हो रही तारीफ
फेनी से और अधिक नुकसान होने की आशंका थी, लेकिन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की टीमें 12 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में सफल रहीं। जब तूफान के नुकसान को कम करने के लिए किए कार्यों के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्र सरकार के साथ उनके तालमेल की तारीफ हो रही है, उसी वक्त ममता बनर्जी से संबंधित ये खबर भी आई है, जो बड़े सवाल खड़े करती है।
दो बार की बात करने की कोशिश
एक शीर्ष अधिकारी ने समाचार एजेंसी PTI को बताया, "प्रधानमंत्री के अधिकारियों ने 2 बार फोन के जरिए मोदी का संपर्क ममता बनर्जी से करने की कोशिश की। दोनों बार उनसे कहा गया कि उनकी कॉल का उत्तर दिया जाएगा। एक मौके पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दौरे पर हैं।" अंत में ममता की ओर से कोई उत्तर नहीं आया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल त्रिपाठी से फेनी के संबंध में बात की और इसके बारे में ट्वीट भी किया।
TMC ने लगाया था मोदी पर आरोप
वहीं, इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने चक्रवात के मद्देनजर राज्य की जमीनी स्थिति के बारे में जानने के लिए ममता बनर्जी से बात नहीं की। अब ये नया खुलासा उसके आरोपों पर सवाल खड़ा करता है।
विरोधियों के प्रति बढ़ती कट्टरता का प्रतीक वाकया
मोदी और ममता के बीच हुआ यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में सहनशीलता और विरोधियों के साथ काम करने की खूबी के कम होने का संकेत देती है। पुराने जमाने के विपरीत अब नेताओं में राजनीतिक बयानबाजी ज्यादा निजी होने लगी है और इसका असर उनके निजी रिश्तों और साथ काम करने की संभावना पर पड़ने लगा है। मतभेद अब मनभेद होने लगे हैं और राजनीतिक विरोधी एक-दूसरे से दुश्मन की तरह पेश आते हैं।
पश्चिम बंगाल पर भाजपा की तिरछी नजर
ममता और मोदी में इस तनाव का कारण पश्चिम बंगाल पर भाजपा की तिरछी नजर है। भाजपा राज्य में विस्तार की प्रबल संभावना देख रही है और यहां की जमीन उसके फलने-फूलने लायक है। उसका लक्ष्य राज्य की 42 में से 22 लोकसभा सीटों पर कब्जा करना है। जबकि ममता अपने गढ़ को बचाने के साथ-साथ बेहतर प्रदर्शन करने पर भी जोर दे रही है ताकि गठबंधन की सरकार बनने पर वह प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी कर सकें।