
जानिये क्या है लोकसभा में पारित हुआ 'नागरिकता संशोधन बिल', जिसका पूर्वोत्तर में हो रहा विरोध
क्या है खबर?
लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है।
इसके तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
मंगलवार को इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया था। पूर्वोत्तर के कई दलों और कांग्रेस ने इस बिल का भारी विरोध किया था।
विपक्ष का कहना है कि यह बिल भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं है। कांग्रेस ने इस बिल के विरोध में वॉकआउट कर दिया।
बयान
राजनाथ सिंह ने कही ये बातें
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बिल को लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि यह बिल देशहित में है।
उन्होंने कहा कि वो भरोसा देना चाहते हैं कि यह बिल असम विशेष नहीं है।
भाजपा की सहयोगी शिवसेना और असम गण परिषद इस बिल के विरोध में थी। इन पार्टियों का कहना है कि इस बिल से नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) पर असर पड़ेगा।
इसके जवाब में राजनाथ ने कहा कि इसका NRC पर कोई असर नहीं होगा।
जानकारी
राजनाथ बोले- शरणार्थियों के कल्याण के लिए है बिल
गृह मंत्री राजनाथ ने कहा कि यह बिल पड़ोसी देशों से आने वाले शरणार्थियों की भलाई के लिए है। यह बिल उन शरणार्थियों के लिए भी है जो राजस्थान, पंजाब और दिल्ली आदि प्रदेशों में आकर बस रहे हैं।
विरोध
कई पार्टियां बिल के विरोध में
कांग्रेस, TMC, CPI (M) समेत विपक्षी दलों के साथ-साथ भाजपा की दो सहयोगी पार्टी असम गण परिषद और शिवसेना भी इस बिल के विरोध में थीं।
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सौगत रॉय ने कहा कि बिल धार्मिक आधार पर भेदभाव की बात करता है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
TMC सांसदों ने भी कांग्रेस के साथ इस बिल के विरोध में वॉकआउट किया था।
बिल
क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल, नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है।
कानून बनने के बाद इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारत की नागरिकता लेने के लिए 12 साल के बजाय 6 साल ही भारत में गुजारने होंगे।
साथ ही अगर उनके पास उचित दस्तावेज नहीं होंगे तब भी उन्हें नागरिकता दी जा सकेगी।
विरोध
क्यों हो रहा है इस बिल का विरोध
असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में इस बिल का विरोध हो रहा है।
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह बिल 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा, जिसके तहत 1971 के बाद असम में आने वाले किसी भी धर्म के विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई है।
वहीं विपक्षी पार्टियों का कहना है भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है इसलिए यहां किसी को धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती।
ट्विटर पोस्ट
बिल के विरोध में गुवाहाटी में प्रदर्शन
Assam: Visuals of protest from Hengrabari area of Guwahati. #CitizenshipAmendmentBill pic.twitter.com/MpSWogt2qW
— ANI (@ANI) January 8, 2019