महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार 15 दिनों में गिर जाएगी, संजय राउत ने किया दावा
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार 15 दिनों के अंदर गिर जाएगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में देरी होने के कारण पहले ऐसा नहीं हो पाया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही महाराष्ट्र सरकार गिर जाएगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पिछले महीने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
संजय राउत ने और क्या कहा?
इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, संजय राउत ने आगे कहा कि भाजपा ने मुख्यमंत्री शिंदे को अपना बोरिया-बिस्तर बांध लेने को कहा है। दरअसल, राहुल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मुख्यमंत्री पद को लेकर की गई टिप्पणी का जवाब दे रहे थे। बता दें कि अजित पवार ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि वह ना केवल 2024 में बल्कि अभी भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने के लिए तैयार हैं।
जलगांव में रैली को संबोधित करेंगे उद्धव
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रविवार को जलगांव जिले के पाचोरा में अपने गुट का शक्ति प्रदर्शन करने के लिए एक रैली को संबोधित करेंगे। राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे की यह रैली ऐतिहासिक होगी और इसमें बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2024 में होने वाले महाराष्ट्र चुनाव के बाद राज्य में दोबारा महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन की सरकार बनेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने राज्य में उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट से संबंधित पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुटों की याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ठाकरे गुट ने कहा था कि शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता रद्द होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद चुनाव आयोग उन्हें शिवसेना पर हक कैसे दे सकता है।
शिंदे गुट को मिला था शिवसेना का नाम और चिह्न
चुनाव आयोग ने फरवरी में शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुनाते हुए शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह 'तीर-कमान' उन्हें सौंप दिया था। चुनाव आयोग के इसी फैसले को ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दरअसल, जून, 2022 में शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना उनके और उद्धव ठाकरे के दो गुटों में बंट गई थी। दोनों ही गुटों ने शिवसेना पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश की थी और मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया था।