उद्धव ठाकरे ही नहीं, ये मुख्यमंत्री भी दे चुके हैं फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उनसे गुरूवार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपना पद त्याग दिया। ठाकरे ऐसे पहले मुख्यमंत्री नहीं हैं और हालिया समय में कई ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना करने की बजाय इससे पहले ही इस्तीफा दे दिया। आइए इनके बारे में जानते हैं।
2018 में कमलनाथ
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 20 मार्च, 2020 को फ्लोर टेस्ट से पहले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण उनकी सरकार गिरी थी जो 22 विधायकों के साथ भाजपा की तरफ चले गए थे। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई और राज्यपाल ने उनसे बहुमत साबित करने को कहा। हालांकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया। बाद में भाजपा ने सरकार बना ली।
2019 में देवेंद्र फडणवीस
भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने भी 2019 में फ्लोर टेस्ट से पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तब उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन NCP प्रमुख शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार और बाकी विधायकों को वापस लाने में कामयाब रहे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
2018 में बीएस येदियुरप्पा
2018 में भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को भी बहुमत न होने के कारण फ्लोर टेस्ट से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन यह 113 सीटों के बहुमत के आंकड़े से कम थीं। इसके बावजूद 17 मई को येदियुरप्पा ने सरकार बना ली, हालांकि वह बाकी विधायक नहीं जुटा पाए और फ्लोर टेस्ट पर वोटिंग से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया।
2016 में नबाम टुकी
2016 में कांग्रेस के नबाम टुकी ने भी फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। 13 जुलाई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर नबाम टुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बहाल किया था। इसके बाद राज्यपाल ने टुकी से विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन 16 जुलाई को फ्लोर टेस्ट से चंद घंटे पहले ही टुकी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2015 में जीतनराम मांझी
2015 में बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले जीतनराम मांझी ने भी 20 फरवरी, 2015 को फ्लोर टेस्ट का सामना करने की बजाय मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) प्रमुख नीतीश कुमार ने अपनी जगह मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। हालांकि कुछ समय बाद ही मांझी ने बगावत कर दी, जिसके बाद उन्हें JDU से निकाल दिया गया और उन्होंने बहुमत खो दिया।