महाराष्ट्र: विधवा प्रथा समाप्त करने की दिशा में उठे कदम, सरकार ने जारी किया सर्कुलर
क्या है खबर?
महाराष्ट्र सरकार ने विधवा महिलाओं के लिए सदियों से चली आ रही कई रूढ़िवादी कुप्रथाओं को बंद करने की दिशा में कदम उठाया है।
राज्य सरकार की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि पति की मृत्यु के बाद महिलाओं को चूड़ियां तोड़ने, सिंदूर हटाने और मंगलसूत्र निकालने जैसी प्रथाओं के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा।
सरकार ने कोल्हापुर जिले की हेरवाड़ ग्राम पंचायत से प्रेरित होकर पूरे राज्य में यह फैसला लागू किया है।
पृष्ठभूमि
हेरवाड़ पंचायत ने क्या फैसला लिया?
भास्कर के अनुसार, हेरवाड़ पंचायत ने 4 मई को विधवा प्रथाओं को समाप्त करने वाला एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था।
इसमें तय किया गया था कि अगर पति की मौत हो जाती है तो उस महिला को चूड़ी तोड़ने, माथे से सिंदूर हटाने और मंगलसूत्र निकालने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
पंचायत के इस प्रस्ताव की पूरे राज्य में चर्चा हुई थी और कई अन्य गांवों की पंचायतों ने भी ऐसे प्रस्ताव पारित किए।
सर्कुलर
राज्य सरकार ने जारी किया सर्कुलर
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जारी सर्कुलर में सभी पंचायतों को विधवा प्रथा बंद करने के लिए ऐसे प्रस्ताव पारित करने को कहा गया है।
इसके लिए पंचायतों को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को दी गई है। इस काम के लिए वो जिला परिषद के तहत काम करने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद ले सकेंगे।
उन्हें ऐसी प्रथाओं को बंद करने के लिए जागरुकता अभियान चलाने को कहा गया है।
जानकारी
मंत्री ने की आदर्श स्थापित करने की अपील
महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने राज्य की सभी पंचायतों को हेरवाड़ का अनुसरण करते हुए एक आदर्श स्थापित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र हमेशा से कुप्रथाओं को रोकने में आगे रहा है।
शुरुआत
कैसे हुई इस पहल की शुरुआत?
महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद जिंजादे ने यह पहल शुरू की थी।
जिंजादे ने कहा कि उन्होंने उदाहरण पेश करने के लिए स्टांप पेपर पर घोषणा कि उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी को इस प्रथा के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। 20 से अधिक दूसरे पुरुषों ने उनकी इस घोषणा का समर्थन किया।
फिर हेरवाड़ पंचायत उनके पास पहुंची और बताया कि वो इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करेंगे।
बयान
सरपंच ने कही यह बात
हेरवाड़ के सरंपच सुरगोंडा पाटिल ने कहा कि महिलाओं को इन प्रथाओं से गुजरना पड़ता है, जो बहुत अपमानजनक होती है।
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इस प्रस्ताव पर बहुत गर्व है क्योंकि इसने हेरवाड़ को अन्य पंचायतों के लिए एक मिसाल के तौर पर पेश किया है। खासकर तब जब महिलाओं के उद्धार के लिए काम करने वाले समाज सुधारक राजा राजर्षि छत्रपति साहू महाराज का 100वां पुण्यतिथि वर्ष मनाया जा रहा है।