#NewsBytesExplainer: अग्निवीर जवान को 'गार्ड ऑफ ऑनर' न मिलने से जुड़ा पूरा विवाद क्या है?
अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में बतौर अग्निवीर भर्ती हुए एक जवान की मौत पर विवाद हो रहा है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि जवान को सैन्य सम्मान या गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई नहीं दी गई। यहां तक कि जवान का शव भी सेना के वाहन की जगह एक प्राइवेट एंबुलेंस में लाया गया। इस मामले में सेना का भी बयान आ गया है। आइए समझते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
सबसे पहले जानिए कौन थे मृतक जवान अमृतपाल?
पंजाब के मानसा जिले के गांव कोटली कलां के रहने वाले 19 साल के अमृतपाल सिंह भारतीय सेना में बतौर अग्निवीर भर्ती हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्यवर्गीय परिवार से आने वाले अमृतपाल अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनकी एक बहन कनाडा में रहती हैं। पिछले साल दिसंबर में ही उन्हें अग्निपथ योजना के तहत सेना में शामिल किया गया था। उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुई थी।
कैसे हुई अमृतपाल सिंह की मौत?
11 अक्टूबर को अमृतपाल नियंत्रण रेखा (LoC) के नजदीक मृत पाए गए थे। उनके शरीर पर गोली लगने के निशान थे। 9 अक्टूबर को सेना ने इसी इलाके में 2 आतंकियों को ढेर किया था। प्रारंभिक मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अमृतपाल को आतंकियों की गोली लगी है, लेकिन बाद में सेना ने कहा कि अमृतपाल ने खुद को गोली मारी है। हालांकि, अब सच्चाई पता करने के लिए सेना ने 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' गठित की है।
अमृतपाल के अंतिम संस्कार को लेकर क्या है विवाद?
13 अक्टूबर को अमृतपाल का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शव को सैन्य वाहन के बजाय एक निजी एंबुलेंस में लाया गया। शव को सौंपने के लिए सेना के 2 जवान सादे कपड़ों में आए थे। परिवार ने जब पूछा कि अमृतपाल को सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा तो जवानों ने कहा कि अग्निवीर के तहत भर्ती सैनिक को शहीद का दर्जा नहीं है, इसलिए गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा।
पंजाब पुलिस ने दी अंतिम सलामी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, शव को देने आए सैनिक बिना कुछ बताए वहां से चले गए। इसके बाद परिवार ने शव के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया और इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी। सैन्य सम्मान को लेकर विवाद बढ़ने के बाद पंजाब पुलिस के कुछ जवानों ने अमृतपाल को सलामी दी। इसके बाद अमृतपाल का अंतिम संस्कार किया गया। दावा किया जा रहा है कि सेना के जवान अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए।
गार्ड ऑफ ऑनर न मिलने पर क्या बोले पंजाब के मुख्यमंत्री?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले पर केंद्र सरकार के सामने कड़ा प्रतिरोध जताएगी। मान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'सिंह की शहादत को लेकर सेना की जो भी नीति हो, लेकिन एक शहीद के लिए उनकी सरकार की नीति वही रहेगी। राज्य की नीति के अनुसार सैनिक के परिवार को एक करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। अमृतपाल सिंह देश के शहीद हैं।'
विपक्ष के इन नेताओं ने भी उठाया सवाल
शिरोमणि अकाली दल (SAD) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "यह जानकर स्तब्ध हूं कि ड्यूटी के दौरान शहीद हुए अग्निवीर अमृतपाल सिंह का सेना के 'गार्ड ऑफ ऑनर' के बिना अंतिम संस्कार किया गया।' कांग्रेस ने कहा, 'दुखद है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।' इसके अलावा पूर्व राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक, समाजवाद पार्टी के अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने इस पर सवाल उठाए।
मामले पर सेना का क्या कहना है?
सेना ने एक बयान में कहा, "दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अग्निवीर अमृतपाल सिंह की संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी बंदूक की गोली से चोट लगने के चलते मौत हो गई। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में मौत के कारणों को जानने की कोशिश की जा रही है। मौत का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है और मौजूदा नीति के तहत मृतक को कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य सम्मान प्रदान नहीं किया गया था। यह मौजूदा नीति के अनुरूप है।"
किसे शहीद मानती है सरकार?
केंद्र सरकार ने 2017 में बताया था कि शहीद की परिभाषा का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। आमतौर पर युद्ध या विशेष ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वाले जवानों को ही शहीद का दर्जा मिलता है। सरकार ने कहा था कि सेना, अर्धसैनिक बलों या पुलिस के मामले में 'शहीद' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। अर्धसैनिक बलों के जवानों को शहीद कहा जाता है, लेकिन उन्हें शहीदों को मिलने वाली सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
अग्निपथ योजना तीनों सेनाओं, थल सेना, भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए एक अखिल भारतीय योग्यता-आधारित भर्ती प्रक्रिया है। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाता है और उन्हें 4 साल के लिए सेना में सेवा का अवसर मिलेगा। इसके बाद योग्यता, इच्छा और मेडिकल फिटनेस के आधार पर 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेवा में बरकरार रखा जाएगा। युवाओं ने इस योजना का खासा विरोध किया था।