कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा जरूरी, हालात सुधरने तक जम्मू भेजा जाए- गुलाम नबी आजाद
क्या है खबर?
डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (DAP) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की बात करते हुए कहा कि जब तक कश्मीर घाटी में स्थिति सुधर नहीं जाती, उन्हें जम्मू भेज दिया जाना चाहिए।
आजाद ने कहा कि जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। सुरक्षा के लिए कुछ समय तक कश्मीरी पंडितों को जम्मू भेजा जा सकता है। जब हालात में सुधार आएगा तो उन्हें वापस बुलाया जा सकता है।
आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
वजह
आजाद ने क्यों दिया यह बयान?
घाटी में बढ़ रही आतंकी गतिविधियों और आम नागरिकों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के मद्देनजर आजाद ने यह बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए 3,000 कश्मीरी पंडित को नौकरियां दी थी। उस समय किसी ने उन्हें परेशान नहीं किया था, लेकिन अब कई घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं।
बता दें कि कांग्रेस सरकार के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे गुलाम नबी आजाद 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे।
बयान
जिंदगी से ज्यादा जरूरी नहीं नौकरी- आजाद
आजाद ने कहा कि नौकरी जान से ज्यादा जरूरी नहीं हो सकती। उन्हें नहीं मालूम कि मौजूदा प्रशासन इस बारे में क्या सोच रहा है, लेकिन उनकी सरकार बनती है तो वो फिर से कश्मीरी पंडितों को नौकरी देंगे।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा की चिंता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कश्मीरी पंडितों को जम्मू में अस्थायी तौर पर जम्मू भेजने की अपील की है।
गौरतलब है कि कांग्रेस छोड़ने के बाद आजाद ने अपनी पार्टी बनाई है।
जम्मू-कश्मीर
इस साल कश्मीरी पंडितों पर बढ़े हमले
इस साल जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों खासकर कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर आतंकी हमलों की संख्या बढ़ी है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि पिछले तीन वर्षों में घाटी में नौ कश्मीरी पंडितों की हत्या हो चुकी है। इन घटनाओं को देखते हुए कश्मीर में नौकरी करने वाले कश्मीरी पंडित कर्मचारी धरने पर बैठे हैं।
इन्हें सख्त हिदायत देते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने काम पर लौटने को कहा है।
आदेश
जम्मू में नहीं होगा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का ट्रांसफर- सिन्हा
सिन्हा ने कहा कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का जम्मू ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। जो कर्मचारी कश्मीर डिविजन के कर्मचारी हैं, उनका जम्मू डिवीजन में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
सिन्हा ने आगे कहा कि कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पहले से ही उन्हें कश्मीर में जिला मुख्यालयों पर तैनात किया गया है और ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को तहसील और जिला मुख्यालय के पास के गांवों में शिफ्ट किया गया है।
कश्मीरी पंडित विस्थापन
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
1990 के दशक में आतंकी हमलों और नरसंहार की धमकियों के कारण कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
तब एक लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ था, लेकिन उनके लगभग 800 परिवारों ने अपने पूर्वजों की जमीन को नहीं छोड़ा था।
अभी इनमें से 600 परिवार शोपियां, अनंतनाग, कुलगाम और पुलवामा में रहते हैं, वहीं 200 परिवार केंद्रीय कश्मीर में रहते हैं। उत्तर कश्मीर में भी कश्मीरी पंडितों के लगभग 25 परिवार रहते हैं।