23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का सोनिया गांधी को अभूतपूर्व पत्र, पार्टी में बड़े सुधारों की मांग
अपनी तरह के अभूतपूर्व घटनाक्रम में कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखते हुए पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक बड़े सुधारों की मांग की है। पत्र में शक्ति के विकेंद्रीकरण, राज्य इकाइयों के सशक्तिकरण, ब्लॉक से लेकर शीर्ष तक पार्टी में हर स्तर पर चुनाव और एक केंद्रीय संसदीय बोर्ड के तत्काल गठन समेत कई सुधारों की मांग की गई है। पत्र में शीर्ष नेतृत्व पर भी निशाना साधा गया है।
15 दिन पहले लिखा गया था पत्र
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने ये पत्र लगभग 15 दिन पहले लिखा था और 15 अगस्त को ये पार्टी अध्यक्ष सोेनिया गांधी के पास पहुंचा। कल होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में इस पत्र पर चर्चा की जा सकती है। जिन 23 वरिष्ठ नेताओं ने ये पत्र लिखा है, उनमें पांच पूर्व मुख्यमंत्री, CWC के कई सदस्य, मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।
पत्र में नेताओं ने कहा, पार्टी को पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व की जरूरत
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अपने पत्र में भाजपा के उभार को स्वीकारते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि युवाओं ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया। नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस के आधार में कमी और युवाओं का विश्वास खोना गंभीर चिंता का विषय है। शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि पार्टी को ऐसे पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व की जरूरत है जो दिखे भी और सक्रिय भी हो।
'देश और लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का पुनरुद्धार जरूरी'
कांग्रेस के पुनरुद्धार को देश और लोकतंत्र के लिए जरूरी बताते हुए पत्र में कहा गया है कि पार्टी का पतन ऐसे समय पर हुआ है जब देश आजादी के बाद अपनी सबसे गंभीर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। पत्र में देश में डर और असुरक्षा के माहौल, भाजपा और संघ परिवार के सांप्रदायिक और बांटने वाले एजेंडे, महामारी से पैदा हुई कठिनाइयों और सीमा पर तनाव आदि चुनौतियों का जिक्र किया गया है।
नेतृत्व में अनिश्चितता से हतोत्साहित हुए कार्यकर्ता- कांग्रेस नेता
पत्र में कहा गया है कि शीर्ष नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता से कार्यकर्ता हतोत्साहित हुए हैं और पार्टी कमजोर हुई है। नेताओं ने ये भी कहा है कि भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए CWC प्रभावी तरीके से पार्टी का मार्गदर्शन नहीं कर पा रही है। वहीं कांग्रेस संसदीय समिति (CPP) के बारे में कहा गया है कि इसे सोनिया गांधी के संबोधन तक सीमित करके रख दिया गया है और इसकी बैठकों में कोई बहस नहीं होती।
"पार्टी ने अब तक नहीं किया ईमानदार आत्मनिरीक्षण"
पत्र में वरिष्ठ नेताओं ने ये भी कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में हार के एक साल बाद भी कांग्रेस ने अपने लगातार पतन के कारणों का पता लगाने के लिए ईमानदार आत्मनिरीक्षण नहीं किया है।
पार्टी के पुनरुद्धार के लिए नेताओं ने दिए ये सुझाव
नेताओं ने अपने पत्र में इन सभी विकट परिस्थितियों से उबरने के लिए कई सुझाव भी दिए हैं, जिनमें पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व की नियुक्ति भी शामिल है। उन्होंने सामूहिक चिंतन और सभी अहम मुद्दों पर फैसले लेने के लिए तत्काल केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन का सुझाव भी दिया है। इसके अलावा संगठन के हर स्तर पर पारदर्शी चुनाव कराने का सुझाव भी दिया गया है। CWC सदस्यों के चयन के लिए भी चुनाव कराने को कहा गया है।
"राज्य इकाइयों में नहीं होती समय पर नियुक्तियां, फैसले लेने की स्वतंत्रता नहीं"
राज्य इकाइयों के बारे में पत्र में कहा गया है कि राज्य कांग्रेस प्रमुखों और पदाधिकारियों की अहम नियुक्तियों में बिना कारण देरी की जाती है और राज्य के लोकप्रिय नेताओं को समय पर नियुक्त नहीं किया जाता। इसके अलावा राज्य कांग्रेस प्रमुखों के पास संगठन संबंधी फैसले लेने की पूर्ण स्वतंत्रता नहीं होने की बात भी पत्र में कही गई है। इसमें सुधार के लिए राज्य इकाइयों के सशक्तिकरण का सुझाव दिया गया है।
पत्र में नेताओं ने लिखा- पार्टी का अभिन्न अंग रहेगा नेहरू-गांधी खानदान
पत्र में नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस के पुनरुद्धार के सामूहिक मार्गदर्शन के लिए अब संस्थागत नेतृत्व तंत्र स्थापित करने का समय आ गया है। सामूहिक नेतृत्व की बात करते हुए पत्र में ये भी कहा गया है कि नेहरू-गांधी खानदान हमेशा कांग्रेस का अभिन्न अंग रहेगा। पत्र में सोनिया गांधी के नेतृत्व और कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी द्वारा किए गए प्रशंसनीय प्रयासों की सराहना भी की गई है।
इन वरिष्ठ नेताओं ने लिखा है पत्र
पत्र लिखने वाले नेताओं में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे चुके आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर और CWC के सदस्य मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद शामिल हैं। मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चौहान और राज्य इकाइयों के अध्यक्ष रह चुके राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और कौल सिंह ठाकुर ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।