गुजरात विधानसभा चुनाव में 'आधी आबादी' की अनदेखी, मैदान में हैं महज 9 प्रतिशत महिला उम्मीदवार
अगले महीने होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में भले ही 50 प्रतिशत से अधिक महिला मतदाता हैं, लेकिन चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों में इसकी उपस्थिति नौ प्रतिशत से भी कम है। बड़ी बात यह है कि राजनीतिक दलों ने भी टिकट देने में महिलाओं की अनदेखी की है। ऐसे में चुनाव मैदान में खड़े 1,621 उम्मीदवारों में से महिलाओं की संख्या 8.57 प्रतिशत यानी महज 139 ही है, जो कुल विधानसभाओं की संख्या से भी कम है।
भाजपा और कांग्रेस ने कितनी महिलाओं को दिया टिकट?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अगले महीने 1 और 5 दिसंबर को होने वाले चुनाव में कुल 1,621 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से महिला उम्मीदवारों की संख्या 139 हैं और इनमें से भी 56 निर्दलीय हैं। सत्तारूढ भाजपा ने 9.89 प्रतिशत यानी 18 और कांग्रेस ने 7.96 प्रतिशत यानी 14 महिलाओं को टिकट दिया है। हालांकि, यह संख्या 2017 से अधिक है। उस समय भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था।
महिलाओं को टिकट देने में क्या रही है अन्य दलों की स्थिति?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, चुनाव में तीसरे प्रमुख राजनीति दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने 182 विधानसभा सीटों में से महज छह पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। इनमें से तीन अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इसी तरह 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने दो महिलाओं को टिकट दिया है। इनमें एक मुस्लिम और दूसरी दलित समुदाय से है।
बसपा ने 13 महिलाओं को दिया है टिकट
गुजरात में मायावती के नेतृत्व में बहुजम समाज पार्टी (बसपा) कुल 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इन सीटों में से उसने 13 सीटों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने किसी भी महिला को टिकट नहीं दिया।
2017 चुनाव में क्या रही थी महिलाओं की स्थिति?
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में 1,828 उम्मीदवारों में से महिला उम्मीदवारों की संख्या महज 126 थीं। उस साल गुजरात ने 13 महिला उम्मीदवारों को विधानसभा भेजा था। उनमें से भाजपा की नौ और कांग्रेस की चार महिला उम्मीदवार थीं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि कम से कम 104 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसे में दलों के महिलाओं को टिकट न देने के पीछे यह भी कारण माना जा रहा है।
कैसे बढ़ेगा महिलाओं का प्रतिनिधित्व?
वड़ोदरा में सयाजीगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अमी रावत ने कहा कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व तब बढ़ेगा, जब संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित हो जाएगा। इसी तरह भाजपा की राज्य महिला शाखा की प्रमुख दीपिकाबेन सर्वदा ने कहा कि उनकी पार्टी पहले से ही अध्यक्ष समेत महत्वपूर्ण पद देकर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। आगे भी यह प्रक्रिया चलती रहेगी।
भाजपा ने पांच मौजूदा महिला विधायकों का टिकट काटा
भाजपा ने नौ मौजूदा महिला विधायकों में से पांच को टिकट नहीं दिया है, जबकि चार को दोबारा से टिकट देकर मैदान में उतारा है। इनमें अनुसूचित जाति (SC) से आरक्षित गांधीधाम से मालती माहेश्वरी, गोंडल से गीता जडेजा, असरवा से संगीता पाटिल और SC आरक्षित वडोदरा सिटी से मनीषा वकील शामिल हैं। इसी तरह कांग्रेस ने अपनी चार मौजूदा महिला विधायकों में से दो को टिकट नहीं दिया है, जबकि दो को बकरार रखा गया है।
भाजपा और कांग्रेस ने आरक्षित सीटों पर दलित और आदिवासी महिलाओं को टिकट दिए
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक दलित और आदिवासी महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने SC आरक्षित सीटों (गांधीधाम, राजकोट ग्रामीण, असरवा और वडोदरा शहर) पर चार और ST सीट (नंदोद और मोरवा हदफ) पर दो महिलाओं को टिकट दिया है। इसी तरह कांग्रेस ने SC आरक्षित सीटों में एक पर तथा ST आरक्षित सीटों पर चार महिलाओं उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
गुजरात में अगले महीने होने हैं विधानसभा चुनाव
अगले महीने गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। गुजरात में आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री ने मामले को त्रिकोणीय बना दिया है। राज्य में इस बार 4.9 करोड़ से अधिक मतदाता पार्टियों और उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 3.24 लाख पहली बार मतदान करेंगे।