#NewsBytesExplainer: दुनिया का सबसे खर्चीला होगा 2024 का लोकसभा चुनाव, कितना आएगा खर्च?
क्या है खबर?
देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां अंतिम दौर में है। कुल 7 चरणों में होने वाले चुनाव का आगाज 19 अप्रैल को होगा और 1 जून को मतदान खत्म होगा। 4 जून को नतीजे आ जाएंगे।
करीब डेढ़ महीने तक चलने वाली इस प्रक्रिया में अरबों रुपये खर्च होंगे। एक अनुमान के मुताबिक, ये चुनाव देश के साथ ही दुनिया का भी सबसे खर्चीला चुनाव होगा।
आइए जानते हैं लोकसभा चुनाव में कितना खर्च आएगा।
खर्च
चुनावों में कितना हो सकता है खर्च?
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 लोकसभा चुनाव में कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह राशि पड़ोसी देश पाकिस्तान के कुल सालाना बजट के एक तिहाई से भी ज्यादा है।
2020 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी लगभग इतने ही रुपये खर्च हुए थे। ये राशि 2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले भी दोगुनी है। राशि के लिहाज से ये दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होगा।
एक उम्मीदवार
एक उम्मीदवार कितने पैसे खर्च कर सकता है?
चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार द्वारा खर्च की जानी वाली राशि की सीमा निर्धारित कर रखी है।
लोकसभा चुनाव लड़ रहा एक उम्मीदवार अधिकतम 95 लाख और विधानसभा चुनाव लड़ रहा उम्मीदवार 40 लाख रुपये खर्च कर सकता है। इसमें जनसभाओं, रैलियों, विज्ञापनों, होर्डिंग्स, प्रचार सामग्री और चुनाव से जुड़े अन्य सभी कार्यों पर होने वाला खर्च भी शामिल है। नामांकन से लेकर चुनाव पूरा होने तक के दौरान का खर्च इसमें जोड़ा जाता है।
सरकार
कौन उठाता है खर्च?
चुनाव का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है। इसमें चुनाव आयोग के सारे कामकाज से लेकर वोटर आईडी कार्ड बनाने, सुरक्षा व्यवस्था, पोलिंग बूथ, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर खर्च और जागरुकता अभियान के खर्च शामिल होते हैं।
अंतरिम बजट 2024 में चुनाव के लिए 2,442.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें से 1,000 करोड़ रुपये लोकसभा चुनावों के लिए है। मतदाता पहचान पत्र, EVM, सार्वजनिक कार्य और प्रशासनिक सेवाओं के लिए अलग-अलग बजट आवंटित किया गया है।
पहले चुनाव
पहले लोकसभा चुनाव में कितना हुआ था खर्च?
देश में 1951-52 में पहली बार आम चुनाव हुए थे। तब इसमें 10.5 करोड़ रुपये का खर्च आया था। इन चुनावों में 53 पार्टियों के 1,874 उम्मीदवार 401 सीटों से मैदान में उतरे थे। तब 17.5 करोड़ मतदाता थे, जो इस बार बढ़कर 96.8 करोड़ हो गए हैं।
भारत के कुल मतदाताओं की संख्या यूरोप के सभी देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। इस बार 2,660 राजनीतिक पार्टियां मैदान में हैं।
स्याही
स्याही पर खर्च 66 फीसदी बढ़ा
चुनाव में इस्तेमाल होने वाली अमिट स्याही का खर्च पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 66 प्रतिशत बढ़ गया है। 2019 में ECI ने 33 करोड़ रुपये में स्याही की 26 लाख शीशियां खरीदी थीं।
इस बार करीब 55 करोड़ रुपये में 26.55 लाख स्याही की शीशियां खरीदी गई हैं। 1962 में पहली बार इस स्याही का इस्तेमाल किया गया था। तब 3.89 लाख शीशियों को खरीदने में 2.27 लाख रुपये खर्च हुए थे।
पार्टियां
कहां पैसे खर्च कर रही हैं राजनीतिक पार्टियां?
पार्टियों के वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2020 के दौरान भाजपा ने 2,000 करोड़ रुपये चुनाव प्रचार पर खर्च किए। यह पार्टी के कुल चुनावी खर्च का 54.87 प्रतिशत था। भाजपा ने करीब 260 करोड़ रुपये रैली पर खर्च किए गए।
वहीं, कांग्रेस ने 250 करोड़ रुपये यात्राओं और 560 करोड़ रुपये प्रचार पर खर्च किए। आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 60,000 करोड़ रुपये का खर्च आया था।