डीके शिवकुमार ने इस बार हिमाचल सरकार बचाई, कई मौकों पर बन चुके हैं संकटमोचक
क्या है खबर?
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने एक बार फिर से पार्टी की लाज बचा ली।
भाजपा विधायकों का निष्कासन, विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे की नामंजूरी और असंतोष विधायकों को मनाने की रणनीति शिवकुमार की ही थी।
यही कारण है कि शिवकुमार को रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का जनक, कांग्रेस के तारणहार और संकटमोचक के रूप में भी जाना जाता है।
आइए जानते हैं कि कैसे कई अवसरों पर शिवकुमार कांग्रेस के संकटमोचक बने हैं।
शिवकुमार
हिमाचल में कैसे बचाई सरकार?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी के कारण सरकार पर संकट मंडराने लगा और भाजपा इस अवसर का लाभ उठाने को तैयार थी। पर्यवेक्षक के तौर पर शिवकुमार ने अपने स्तर पर काम शुरू किया।
विक्रमादित्य सिंह ने जब इस्तीफा दिया तो सुक्खु सरकार ने नामंजूर किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन्हें अपना छोटा भाई बताया, जिससे उनके तेवर नरम पड़े।
नाराज विधायकों को मनाने के बाद शिवकुमार ने ऐलान किया कि हिमाचल सरकार सुरक्षित है।
कर्नाटक
कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ करवाई क्रॉस वोटिंग
देश के कई राज्यों में जब दूसरे दल के विधायक भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग कर रहे थे, तब अकेले कर्नाटक के 4 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग में भाजपा विधायक एसटी सोमशेखर ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके पीछे की रणनीति भी शिवकुमार की ही थी।
साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) विधायकों के लिए इसी तरह की व्यवस्था की थी और सरकार बचाई थी।
तेलंगाना
तेलंगाना में विधायकों को एकजुट रखने के लिए संभाला मोर्चा
पिछले साल तेलंगाना के चुनावों के बाद एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी के बाद पार्टी ने विधायकों को एकजुट रखने के लिए शिवकुमार को हैदराबाद भेज दिया था।
यहां शिवकुमार को कांग्रेस के विधायकों को एकजुट रखने और खरीद-फरोख्त से सुरक्षित रखने का काम सौंपा गया था और वह ऐसा करने में सफल भी रहे।
कांग्रेस ने 119 विधानसभा सीटों में से 64 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी और रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
गुजरात
गुजरात में जब अहमद पटेल को सियासी संकट से बचाया
2017 के गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग की आशंका थी, जिससे दिवंगत नेता अहमद पटेल राजनीतिक संकट में फंस गए थे।
उस समय शिवकुमार ने स्थिति को संभाला और कांग्रेस के 44 विधायकों को बेंगलुरु में स्थित उनके "ईगलटन" रिज़ॉर्ट में ही लाया गया था। शिवकुमार ने एक भी विधायक टूटने नहीं दिया और पटेल चुनाव जीत गए थे।
बता दें कि खुद अहमद कांग्रेस को राजनीतिक संकट से निकालने के लिए जाने जाते थे।
महाराष्ट्र
2002 में महाराष्ट्र में बचाई थी कांग्रेस सरकार
साल 2002 में जब महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार पर खतरा मंडराया, तब सभी विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक भेज दिया गया।
यहां ये सभी विधायक शिवकुमार के रिज़ॉर्ट में ठहराए गए थे। करीब एक हफ्ते तक शिवकुमार ने विधायकों को अपने रिज़ॉर्ट में रखा था। विश्वासमत वाले दिन सभी विधायक मुंबई गए और राव सरकार बच गई।
राजस्थान में जब 2020 में कांग्रेस सरकार में सचिन पायलट ने बागी तेवर दिखाए, तब शिवकुमार ने उन्हें मनाया था।
जानकारी
कौन है डीके शिवकुमार?
शिवकुमार राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। शिवकुमार लगातार 8वीं बार अपनी परंपरागत सीट कनकपुरा से विधायक हैं। वे 840 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं।