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    #NewsBytesExplainer: एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में भाजपा की हार का अंदेशा, क्या रहे कारण? 
    एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में भाजपा को बहुमत से कम सीटें मिलने की संभावना बताई गई है

    #NewsBytesExplainer: एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में भाजपा की हार का अंदेशा, क्या रहे कारण? 

    लेखन आबिद खान
    Oct 06, 2024
    08:17 pm

    क्या है खबर?

    जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल आ गए हैं। दोनों ही राज्यों में भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं दिख रही है।

    जम्मू-कश्मीर के अनुमान भाजपा के लिए और चौंकाने वाले हैं, क्योंकि अनुच्छेद 370 के मुद्दे को भाजपा ने अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया था। अब अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पहले ही चुनाव में भाजपा हारती हुई दिखाई दे रही है।

    आइए जानते हैं इसके संभावित कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

    एग्जिट पोल

    सबसे पहले जानिए एग्जिट पोल क्या कह रहे हैं?

    जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 45 है।

    सी वोटर सर्वे में यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस गठबंधन को 40-48, जबकि भाजपा को 27-37 सीटें मिलने का अनुमान है।

    भास्कर रिपोर्टर्स पोल में भाजपा को 20-25 और कांग्रेस-NC को 35-40 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।

    मैट्रिज पोल में भाजपा को 25, मनी कंट्रोल में 26, न्यूज 24-चाणक्य में 23 से 27 जीतने का अनुमान लगाया गया है।

    अनुच्छेद 370

    अनुच्छेद 370 को लेकर भारी पड़ी नाराजगी? 

    जम्मू-कश्मीर चुनावों में अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा मुद्दा था। 2019 में केंद्र सरकार ने इसे खत्म कर जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया।

    हालांकि, ये अचानक से उठाया गया कदम था और इस दौरान कई नेताओं को नजरबंद किया गया और पूरे इलाके में कई महीनों तक हजारों सैनिक तैनात रहे। स्थानीय लोगों के लिए ये एक थोंपे गए फैसले की तरह था, जिसमें उनकी कोई रजामंदी नहीं थी।

    'नए कश्मीर'

    जनता को रास नहीं आया 'नए कश्मीर' का वादा

    अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भाजपा ने 'नए कश्मीर' का एजेंडा पेश किया। भाजपा के बड़े नेता भी रैलियों में पत्थरबाजी पर लगाम लगने, प्रदर्शन कम होने, विकास, नौकरी और सुरक्षा बढ़ाने को लेकर बातें करने लगे।

    हालांकि, ये सब वादे राज्य से विशेष दर्जा छीने जाने के नुकसान की भरपाई नहीं कर सके। दूसरी ओर, NC जैसी बड़ी विपक्षी पार्टी ने इस मुद्दे को खूब भुनाया और अनुच्छेद 370 को दोबारा लागू करने की बात तक कही।

    स्थानीय पार्टियां

    स्थानीय पार्टियों को नजरअंदाज करना पड़ा भारी?

    जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने स्थानीय पार्टियों के साथ सामंजस्य बनाने में कोई दिलचस्पी जाहिर नहीं की। इस वजह से वो अलग-थलग सी दिखाई दी।

    भाजपा ने पारंपरिक पार्टियों के बजाय अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस जैसी नई पार्टियों के साथ गठबंधन करने की कोशिश की। हालांकि, इसका फायदा उसे मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि ये पार्टियां NC या पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) जैसी स्थापित पार्टियों को चुनौती देने में विफल रहीं।

    अच्छे संकेत

    भाजपा के लिए ये हैं अच्छे संकेत

    कुछ एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में किसी को भी स्पष्ट बहुमत के संकेत नहीं हैं। ऐसे में भाजपा दूसरी पार्टियों या निर्दलियो के साथ गठबंधन कर सत्ता में आने की उम्मीद कर सकती है।

    वैसे भी ये एग्जिट पोल हैं और चुनावी नतीजे इससे अलग भी हो सकते हैं। भाजपा को घाटी से भी अच्छी खबर मिल सकती है। अनुमान है कि कश्मीर घाटी की गुरेज सीट से भाजपा के फकीर मोहम्मद जीत दर्ज कर सकते हैं।

    विशेषज्ञ

    क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

    दैनिक भास्कर से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ अजहर हुसैन ने कहा, "मुझे नहीं लगता है कि किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत के लिए जरूरी सीटें मिल सकेंगी। कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी NC और जम्मू में भाजपा के पास बढ़त रहेगी। इस बार निर्दलियों की भूमिका सबसे अहम होने वाली है। निर्दलीय उम्मीदवार 8-10 सीटें जीत सकते हैं। छोटी पार्टियों के 1-2 उम्मीदवार ही जीतेंगे, लेकिन सरकार बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी।"

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