#NewsBytesExplainer: सेंट मार्टिन द्वीप पर क्यों हैं अमेरिका की नजरें और इसका रणनीतिक महत्व क्या है?
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। अब उन्होंने एक चिट्ठी के जरिए तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ बताया है। उन्होंने दावा किया कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने के कारण अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि अगर वे सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर देती तो सत्ता में बनी रहतीं। आइए सेंट मार्टिन द्वीप के बारे में जानते हैं।
कहां हैं सेंट मार्टिन द्वीप?
सेंट मार्टिन द्वीप बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भाग में 9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला एक छोटा सा द्वीप है। ये इलाका बांग्लादेश का सबसे दक्षिणी भाग का हिस्सा है। स्थानीय लोग इसे बंगाली भाषा में 'नारिकेल जिंजिरा' कहते हैं यानि कोकोनट आइलैंड। यह बांग्लादेश का एकमात्र मूंगा द्वीप है। बांग्लादेश के पर्यावरण विभाग ने इस द्वीप को पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र घोषित किया हुआ है। बिना मंजूरी के यहां निर्माण कार्य गैरकानूनी है।
क्या है द्वीप का इतिहास?
माना जाता है कि ये द्वीप हजारों साल पहले टेकनाफ प्रायद्वीप का हिस्सा था। बाद में टेकनाफ प्रायद्वीप का कुछ हिस्सा जलमग्न हो गया और इस तरह मुख्य भूमि से अलग होकर एक द्वीप बन गया। साल 1900 में ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ताओं ने सेंट मार्टिन द्वीप को भारत में ब्रिटिश राज के हिस्से के रूप में शामिल किया। माना जाता है कि चटगांव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर या एक ईसाई पुजारी के नाम पर द्वीप को सेंट मार्टिन नाम मिला।
द्वीप पर कितने लोग रहते हैं?
द्वीप पर 9 गांव या क्षेत्र हैं, जिनमें करीब 3,700 लोग रहते हैं। मोटे तौर पर ये मछली बेचकर जीवन यापन करते हैं और चावल के साथ नारियल की खेती करते हैं। खाने-पीने की ज्यादातर चीजें बांग्लादेश और म्यांमार से आयात की जाती हैं। द्वीप के दक्षिणी हिस्से में खेत और अस्थायी निर्माण, जबकि उत्तरी हिस्से में स्थायी निर्माण हैं। ये एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है, इसलिए यहां 200 से ज्यादा होटल, रिसॉर्ट और कॉटेज हैं।
क्या है द्वीप का रणनीतिक महत्व?
यह द्वीप रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। ये दुनिया के महत्वपूर्ण जलमार्ग पर होने के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी और आसपास के समुद्री इलाके पर नजर रखने के लिए अहम है। यही वजह है कि अमेरिका की इस पर नजर है। अमेरिका यहां नौसैनिक अड्डा बनाकर चीन के बढ़ते खतरे के खिलाफ इलाके में अपनी उपस्थिति चाहता है। हालांकि, अमेरिका ने कभी भी सार्वजनिक तौर पर इस बार को स्वीकार नहीं किया है।
कई बार उठा है द्वीप का मुद्दा
सेंट मार्टिन द्वीप पर पहला विवाद 60 के दशक में सामने आया था। तब पूर्वी पाकिस्तान छात्र लीग ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल अयूब खान ने भारत से मुकाबला करने के उद्देश्य से अमेरिका को सैन्य अड्डा बनाने के लिए इसको पट्टे पर दे दिया है। हालांकि, 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद यह विवाद खत्म हो गया। बाद में जिया उर-रहमान और मोहम्मद इरशाद के शासन के दौरान भी ये मुद्दा उठा था।
शेख हसीना ने पहले भी अमेरिका पर लगाए थे आरोप
जून, 2023 में हसीना ने कहा था कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सेंट मार्टिन द्वीप को बेचकर सत्ता में आना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि अगर वो सेंट मार्टिन को पट्टे पर दे देंगी तो उन्हें सत्ता में रहने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन वे देश की धरती किसी विदेशी के हवाले नहीं कर सकतीं। इसके बाद अमेरिका ने कहा था कि वॉशिंगटन ने सेंट मार्टिन द्वीप पर कब्जे करने के बारे में कभी कोई बातचीत नहीं की।