
कंगना रनौत ने की कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग, अपने बयान को बताया निजी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार द्वारा निरस्त किए गए 3 कृषि कानूनों पर भाजपा सांसद कंगना रनौत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें वह तीनों कानूनों को वापस लाने की मांग कर रही हैं।
वीडियो सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया, जिस पर भाजपा को कंगना के बयान पर सफाई देनी पड़ी।
इसके बाद कंगना ने भी एक्स पर लिखा, 'कृषि कानूनों पर मेरे विचार निजी हैं। वे उन विधेयकों पर पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते।'
विवाद
वीडियो में कंगना ने क्या कहा था?
कांग्रेस नेता श्रीधर रामास्वामी ने एक वीडियो एक्स पर साझा किया, जिसमें कंगना मीडिया से बात करते हुए कह रही हैं, "जिन कृषि कानूनों को निरस्त किया गया है, उन्हें वापस लाया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है। किसानों के हित में कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए ताकि उनकी समृद्धि में कोई बाधा न आए।"
कंगना ने यह बयान कब दिया है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
सफाई
भाजपा ने कंगना के वीडियो पर क्या दी सफाई?
कंगना का वीडियो सामने आने पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक वीडियो जारी कर कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि बिलों पर कंगना रनौत का बयान वायरल हो रहा है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह बयान उनका निजी है। कंगना भाजपा की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है और यह कृषि बिलों पर भाजपा के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता। हम बयान को अस्वीकार करते हैं।"
ट्विटर पोस्ट
कंगना का यह सामने आया वीडियो
The 3 black laws imposed on farmers should be brought back
— Sridhar Ramaswamy శ్రీధర్ రామస్వామి ✋🇮🇳 (@sridharramswamy) September 24, 2024
- BJP MP Kangana Ranaut said this
More than 750 farmers of the country were martyred, only then the Modi government woke up and these black laws were withdrawn.
Now BJP MPs are planning to bring back these laws again.… pic.twitter.com/Z4YysM6fGE
कानून
क्या है 3 कृषि कानून का मामला?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सितंबर 2020 में 3 कृषि कानून लाई थी।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर व्यापारिक बिक्री इलाका, अनुबंध खेती को मंजूरी और कई अनाजों समेत दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान थे।
इसके बाद पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों ने इसका विरोध शुरू कर दिया, जो काफी लंबा चला। इसके बाद केंद्र सरकार को कानून निरस्त करने पड़े।