प्रदर्शनकारी किसानों पर इस्तेमाल किए जाने वाले आंसू गैस ड्रोन क्या हैं?
क्या है खबर?
अपनी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। इस बार किसानों ने 'दिल्ली चलो मार्च' की घोषणा की है।
आंदोलन के पहले दिन किसानों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े।
इन्हें 'ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर' कहा जाता है। संभवत: ये पहली बार है, जब देश में इनका इस्तेमाल हुआ है।
आइए जानते हैं किसानों पर इस्तेमाल किए गए ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर क्या हैं।
इस्तेमाल
कब इस्तेमाल हुए ड्रोन?
13 फरवरी को पहली बार हरियाणा पुलिस ने सीमाओं पर लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने और दिल्ली की ओर जाने का प्रयास कर रहे किसानों को निशाना बनाने और तितर-बितर करने के लिए ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर का इस्तेमाल किया।
शंभू सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) की टीयर स्मोक यूनिट (TSU) ने आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए ड्रोन आधारित आंसू गैस लॉन्चर का इस्तेमाल किया।
ड्रोन
ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर क्या हैं?
BSF की TSU ने दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर को 2022 में विकसित किया था।
2022 में ही TSU की 42वीं वार्षिक सामान्य निकाय बैठक के दौरान इन्हें पेश भी किया गया था।
इन लॉन्चरों का उपयोग मुख्य रूप से BSF द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
इन लॉन्चर से ड्रोन के जरिये 250-300 मीटर के दायरे में आंसू गैस के गोले गिराए जा सकते हैं।
लोड
एक बार में 2-6 गोले किए जा सकते हैं लॉन्च
आंसू गैस के गोलों को पंप गन से भी दागा जाता है। हालांकि, इसमें हर गोले को हाथ से लोड करना होता है।
इसके विपरीत ड्रोन से एक बार में आंसू गैस के 2 से 6 गोले लॉन्च किए जा सकते हैं।
ड्रोन टीयर स्मोक लॉन्चर का पहला परीक्षण मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित TSU में किया गया था।
BSF ने तब कहा था कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह ड्रोन सुरक्षा बलों की ताकत को बढ़ाएंगे।
जानकारी
अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे ड्रोन
इन ड्रोन को पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। ड्रोन इमेजिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (DRIISHYA) द्वारा निर्मित इन ड्रोन का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, खेतों और संवेदनशील जगहों की निगरानी के लिए भी होता है।
हथियार निर्माण
TSU क्या है?
BSF के TSU की स्थापना 1976 में हुई थी।
TSU केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों दोनों के लिए कई तरह के हथियारों का निर्माण करती है। इन हथियारों में मारक क्षमता तो नहीं होती, लेकिन यह काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
यह गोला-बारूद, फ्लैशबैंग गोले और मल्टी पेलेट शॉर्ट रेंज शेल जैसे हथियारों का निर्माण कर सुरक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करती है।
यह सुरक्षा बलों की जरूरत के अनुसार ही हथियार या यंत्रों का निर्माण करती है।
जानकारी
किसानों के मार्च का आज दूसरा दिन
पंजाब और हरियाणा के किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का आज दूसरा दिन है। मार्च रातभर के लिए रुका रहा, लेकिन यह विरोध-प्रदर्शन आज सुबह फिर से शुरू हो गया।
किसानों को शहर की सीमाओं पर ही रोकने के लिए सिंधु-टिकरी से गाजीपुर तक दिल्ली के बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।
किसान इस विरोध के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी सहित अपनी कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं।