किसानों के 'दिल्ली मार्च' का दूसरा दिन, शंभू बॉर्डर पर फिर बरसे आंसू गैस के गोले
पंजाब और हरियाणा के किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का आज दूसरा दिन है। मार्च रातभर के लिए रुका रहा, लेकिन यह विरोध प्रदर्शन आज सुबह फिर से शुरू हो गया है। किसानों को शहर की सीमाओं पर ही रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। किसान इस विरोध के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी सहित अपनी कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे।
आज फिर से किसानों का दिल्ली कूच शुरू
प्रदर्शनकारी किसान आज सुबह 9 बजे के बाद मार्च शुरू हुआ, जबकि हरियाणा पुलिस ने कहा है कि वह किसानों को बैरिकेड पार करने की अनुमति नहीं देगी। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, आज सुबह-सुबह पुलिस को हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए दोबारा आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। इस बीच दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने आज भी एक दिशानिर्देश जारी कर वैकल्पिक रास्तों की जानकारी एक्स पर साझा की है।
सिंधु-टिकरी से गाजीपुर तक दिल्ली के बॉर्डर सील
दिल्ली की सिंधु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों के जरिए रास्ते बंद कर दिए गए हैं, जिससे किसानों के प्रवेश को रोका जा सके। खासकर टिकरी बॉर्डर पर कंक्रीट की मात्रा को और बढ़ा दिया गया है और यहां ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। बता दें कि पूरी राष्ट्रीय राजधानी में पहले ही धारा 144 लागू है और यह 12 मार्च तक लागू रहेगी।
हरियाणा में इंटरनेट बंद
किसानों के मार्च को देखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य के 7 जिलों (अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा) में मोबाइल इंटरनेट 15 फरवरी तक बंद रखने का फैसला किया है।
आंदोलन के पहले दिन क्या हुआ?
किसानों ने सोमवार को दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास किए थे, तब हरियाणा-पंजाब शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया था। इससे किसानों में अफरातफरी मच गई और दर्जनों की संख्या में लोग घायल हुए। किसानों के साथ संघर्ष में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
सरकार की अपील, शांति से हल होगा
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को कहा, "बातचीत के माध्यम से ही हल निकाला जा सकता है और किसानों को समझना चाहिए कि सरकार के कुछ मापदंड होते हैं। ऐसे मामलों में राज्यों से भी बातचीत करनी होती है।: जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने उनकी 13 में 10 मांग स्वीकार कर ली थी, 3 पर चर्चा करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, किसानों का कहना है सरकार मांगों को लेकर गंभीर नहीं।
किसानों की मांगे क्या हैं?
किसानों की मांगों में MSP पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसानों की कर्ज माफी, मुकदमे रद्द करना, वृद्ध किसानों को पेंशन, कृषि उत्पादों के आयात शुल्क कमी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 लागू करना प्रमुख हैं। इसमें मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाने, कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन और विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 को रद्द करने की मांग भी शामिल है।