अगर किसानों की मांगें नहीं मानी तो सत्ता में वापस नहीं आएगी भाजपा- सत्यपाल मलिक
क्या है खबर?
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार से आंदोलनकारी किसानों की मांगें मानने की अपील करते हुए कहा है कि अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गईं तो ये सरकार सत्ता में वापस नहीं लौटेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दे दे तो सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने मामले में मध्यस्थता करने की पेशकश भी की है।
बयान
उत्तर प्रदेश के गांवों में घुस नहीं पा रहे हैं भाजपा नेता- मलिक
राजस्थान के झुंझुनू में मीडिया से बात करते हुए मलिक ने कहा कि किसानों के गुस्से के कारण भाजपा नेता उत्तर प्रदेश के कई गांवों में घुस भी नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "मैं मेरठ से हूं। मेरे इलाके में कोई भी भाजपा नेता किसी गांव में नहीं घुस सकता। मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर में वे नहीं घुस सकते।"
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह किसानों के साथ खड़ा होने के लिए अपना पद छोड़ने को तैयार हैं।
दावा
मलिक बोले- किसानों के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सबसे लड़ा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता रहे मलिक ने यह दावा भी किया कि वह किसान आंदोलन के मुद्दे पर कई लोगों से लड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा, "उनके लिए मैं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सभी से लड़ चुका हूं। मैंने सबको कहा है कि आप गलत कर रहे हैं, ऐसा मत कीजिए।"
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक तौर पर कोई संदेश नहीं देंगे, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मिलकर अपनी राय जरूर बताएंगे।
समाधान का तरीका
MSP की कानूनी गारंटी दे सरकार तो टूट सकता है गतिरोध- मलिक
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध सुलझाने का रास्ता सुझाते हुए मलिक ने कहा, "अगर सरकार MSP की कानूनी गारंटी दे देती है तो इसका समाधान हो जाएगा। किसान तीन कानूनों को मुद्दा छोड़ सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रोक लगा रखी है। केवल एक चीज है, लेकिन आप वो भी नहीं कर रहे हैं। क्यों? बिना MSP के कुछ नहीं होगा।"
उन्होंने कहा कि वो मध्यस्थता करते हुए किसानों को MSP पर मनाने को तैयार हैं।
पृष्ठभूमि
पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं किसान
बता दें कि देशभर के किसान छले साल नवबंर से केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। आज भी उनका रेल रोको अभियान चल रहा है।
इस अंतराल में सरकार और उनके बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन इनमें कोई नतीजा नहीं निकला।
किसानों का कहना है कि सरकार कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देेने वाला कानून बनाए, वहीं सरकार केवल संशोधन को तैयार है।
विवादित कानून
क्या हैं विवादित कृषि कानून?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि कानून लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।