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उत्तर प्रदेश: दलितों के बाल काटने से इनकार करने पर मुस्लिम नाईयों के खिलाफ FIR

उत्तर प्रदेश: दलितों के बाल काटने से इनकार करने पर मुस्लिम नाईयों के खिलाफ FIR

Jul 15, 2019
04:37 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में दलितों के बाल काटने से मना करने के लिए तीन मुस्लिम नाईयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला पीपलसाना गांव का है, जहां के दलित वासियों ने उन पर जाति के आधार पर भेदभाव करने और उनके बाल काटने से इनकार करने का आरोप लगाया था। वहीं, आरोपियों में से एक नाई ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उसने कभी भी किसी भी ग्राहक को इनकार नहीं किया।

शिकायत

शिकायतकर्ता का दावा, काफी सालों से जारी है ये भेदभाव

45 वर्षीय महेश चंद्र ने मामले में शिकायत दर्ज कराते हुए जाति आधारित भेदभाव रोकने को कहा था, जिसके बाद मामले में रियाज आलम, इशाक और जाहिद के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। उनके खिलाफ IPC और SC/ST (अत्याचार की रोकथाम) कानून, के तहत मामला दर्ज किया गया है। महेश ने बताया कि ये पिछले काफी सालों से चल रहा है, लेकिन अब हमने अपनी आवाज उठाने का फैसला लिया है।

समाधान की कोशिश

पुलिस का मध्यस्थता भी रही नाकाम

महेश ने बताया कि उनके शिकायत करने के बाद पुलिस ने गांव में बैठक की, जिसमें नाई दलितों के बाल काटने के लिए राजी हो गए। लेकिन पुलिस की मध्यस्थता भी नाकाम सिद्ध हुई और नाईयों ने तीन दिन के लिए अपनी दुकानें बंद कर दीं। गांव में लगभग 20 नाई की दुकान हैं, जो सभी मुस्लिमों द्वारा चलाई जाती है। ये पूरा प्रकरण धर्म से परे भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था की समस्या को उजागर करता है।

सफाई

नाईयों ने आरोपों को बताया गलत

मुरादाबाद के सर्कल ऑफिसर विशाल यादव के अनुसार, नाईयों ने दावा किया है कि उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में फैसला लेने के लिए दुकानें बंद की थीं। वहीं मामले में आरोपी जाहिद ने आरोपों से इनकार करते हुए आरोपों को गलत बताया है। उसने कहा, "मैंने कभी भी किसी भी ग्राहक को मना नहीं किया। मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं।" पुलिस मामले में आगे जांच कर रही है।

अन्य घटना

बुंदेलखंड में दलितों को नहीं हैंडपंप छूने की इजाजत

इससे पहले बुंदेलखंड में भी समाज में व्याप्त जातिवाद की समस्या सामने आई थी। जून की शुरूआत में सामने आया था कि इलाके में जारी जल संकट और सूखे के बीच दलितों को पानी के हैंडपंपों को छूने की इजाजत तक नहीं है। वहीं, पानी के टैंकरों को सीधे उच्च जातियों के इलाकों में भेजा रहा है। उच्च जाति के गांवों में लठैत कुंओं और हैंडपंप की रखवाली कर रहे हैं ताकि कोई उनसे पानी न ले जाए।