रांची: सांप्रदायिक पोस्ट के लिए गिरफ्तार छात्रा को जमानत, कुरान की 5 प्रतियां बांटने का आदेश
फेसबुक पर सांप्रदायिक पोस्ट करने वाली एक छात्रा को रांची की एक अदालत ने कुरान की 5 प्रतियां बांटने की शर्त पर जमानत दी है। लेकिन छात्रा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है और इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है। कोर्ट ने भले ही धार्मिक सद्भाव बढ़ाने की सही नीयत से ये फैसला दिया हो, लेकिन छात्रा के हिंदू समुदाय से होने के कारण ये मामला विवादों का केंद्र बन सकता है।
रिचा ने किया था फेसबुक पर विवादित पोस्ट
12 जुलाई को छात्रा रिचा भारती के खिलाफ फेसबुक पर सांप्रदायिक पोस्ट करने के लिए पिथौरिया पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। खबरों के अनुसार, रिचा ने तबरेज अंसारी से संबंधित कुछ बात कहते हुए सवाल किया था कि एक ही समुदाय से आतंकवादी क्यों होते हैं। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल में बंद कर दिया। स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों ने रिचा की गिरफ्तारी का सख्त विरोध किया था।
लोगों ने दिया पुलिस स्टेशन के बाहर धरना
शनिवार को स्थानीय लोगों ने पिथौरिया पुलिस थाने के सामने धरना भी दिया। SP आशुतोष शेखर के इस भरोसे के बाद कि रिचा को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगी, धरने को वापस लिया गया था।
15 दिन के अंदर बांटनी है 5 कुरान की प्रतियां
अब रांची की एक अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष सिंह ने रिचा को कुरान की 5 प्रतियां बांटने की शर्त पर जमानत दी है। रिचा को एक प्रति सदर अंजुमन इस्लामिया समिति को देने और बाकी 4 प्रतियां विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पुस्तकालयों को देने को कहा गया है। ये काम उसे पुलिस की मौजूदगी में 15 दिन के अंदर करना है। उसे 7-7 हजार रुपये की दो जमानत भरने को भी कहा गया है।
रिचा ने किया प्रतियां बांटने से इनकार
खबरों के अनसुार, रिचा ने कुरान की प्रतियां बांटने से इनकार कर दिया है। उसने इसे अपने धार्मिक अधिकार के खिलाफ बताया है और कोर्ट से पूछा है कि क्या वो भड़काऊ पोस्ट करने वाले मुस्लिम व्यक्तियों को भी गीता बांटने का आदेश देगी। वहीं, सोशल मीडिया पर कई लोग रिचा के इस फैसले के समर्थन में कोर्ट के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। मामला ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है।
कोर्ट पहले भी सुना चुकी है ऐसा फैसला
वैसे ये पहली बार नहीं है जब झारखंड की किसी अदालत ने सांप्रदायिक गतिविधियों के आरोपियों को समाज के प्रति जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के लिए ऐसी सजा सुनाई हो। इससे पहले अगस्त 2017 में झारखंड हाई कोर्ट ने रांची में एक हिंदुओं की बारात पर हमला करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को RIMS अस्पताल में 3 घंटे तक यातायात प्रबंधन और मरीजों की मदद के जरिए सामुदायिक सेवा का आदेश दिया था।