जम्मू-कश्मीर BDC चुनाव: 280 में से भाजपा को केवल 81 ब्लॉक में मिली जीत
जम्मू-कश्मीर में 24 अक्टूबर को ब्लॉक डेवलेपमेंट काउंसिल (BDC) के चुनाव हुए, जिनमें भारतीय जनता पार्टी को 280 में से महज 80 सीटें मिलीं। राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के लगभग ढाई महीने बाद कड़ी सुरक्षा के बीच ये चुनाव हुए थे। यह स्थिति तब है जब भाजपा के अलावा किसी बड़ी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा। नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और PDP ने नेताओं की हिरासत के विरोध में चुनाव से दूरी बनाए रखी।
जम्मू डिवीजन में 52 ब्लॉक पर जीती भाजपा
भाजपा ने अपनी कुल सीटों में से दो तिहाई सीटें जम्मू डिवीजन में जीती हैं। यहां पार्टी को कुल 148 में से 52 ब्लॉक में जीत मिली है। जम्मू में पेंथर पार्टी को आठ और बाकी 88 ब्लॉक में निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को जम्मू की 37 में से 25 सीटें हासिल हुई थी। कश्मीर की बात करें तो भाजपा को यहां 137 ब्लॉक में से केवल 18 पर जीत मिली है।
280 ब्लॉक में हुए चुनाव
राज्य के मुख्य निर्वाचल अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने गुरुवार शाम ही इन चुनावों के नतीजे घोषित कर दिए। कुल 316 ब्लॉक में से 307 ब्लॉक पर चुनाव हुए। इनमें से 27 पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। बाकी बचे 280 ब्लॉक में भाजपा को 81, कांग्रेस को एक, पैंथर्स पार्टी को आठ और अन्य को 127 ब्लॉक में जीत मिली। इन चुनावों में वोट डालने के लिए पंच और सरपंचों को बुलेट प्रूफ गाड़ियों में वोट डालने के लिए लाया गया।
DDB के गठन के लिए होते हैं BDC चुनाव
BDC चुनावों में पंच और सरंपच मिलकर एक चेयरमैन का चुनाव करते हैं, जिसके बाद डिस्ट्रिक्ट डेवलेपमेंट बोर्ड (DDB) का गठन होता है। हर DDB में इलाके के सांसद और विधायकों के अलावा BDC चेयरमैन होते हैं।
चुनावों से पहले रिहा किया गए थे कुछ नेता
चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हिरासत में लिए गए जम्मू इलाके के नेताओं को रिहा किया था। इनमें देवेंद्र सिंह राणा समेत रमन भल्ला, हर्षदेव सिंह, चौधरी लाल सिंह, विकार रसूल, सुरजीत सिंह स्लाथिया और सज्जाद अहमद किचलू आदि शामिल थे। 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव से पहले जम्मू-कश्मीर के लगभग 400 नेताओं को हिरासत में लिया गया था। उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे बड़े कश्मीरी नेता अभी भी हिरासत में हैं।
कोर्ट ने पाबंदियों को लेकर सरकार के किया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियां कब तक जारी रहेंगी। इस दौरान कोर्ट से कहा कि राष्ट्रीय हित में पाबंदियां लगाई जा सकती हैं लेकिन इनकी रोजाना समीक्षा किया जाना जरूरी है। इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 99 प्रतिशत पाबंदियां हटा दी गई हैं और इनकी रोजाना समीक्षा होती है। मामले में अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।