शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का बयान, सत्ता में बने रहने के लिए किया भाजपा से समझौता
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को स्वीकार किया कि भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में कम सीटों पर लड़ने का समझौता उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए किया है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि इस समझौते और सत्ता में बने रहने का मकसद राज्य की जनता की सेवा करना है। बता दें कि भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ेंगी। भाजपा 162 और शिवसेना 126 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
भाजपा के बराबर सीट चाहती थी शिवसेना
शिवसेना अपने लिए भाजपा के बराबर 135 सीटें चाहती थी, लेकिन भाजपा के इस फॉर्मूले पर सहमत नहीं थी। अंत में शिवसेना अपने रूख पर समझौता करते हुए 126 सीटों पर लड़ने को तैयार हो गई।
उद्धव ने कहा, गठबंधन पर दिखाई परिपक्वता
अब सोमवार को शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' को दिए इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने इस पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि गठबंधन पर हुई बातचीत में उन्होंने परिपक्वता दिखाई है। उन्होंने कहा, "हमने एक संकल्प के साथ गठबंधन किया है। मैंने गठबंधन में समझौता किया, लेकिन महाराष्ट्र के लिए। हम कम सीटों पर लड़ रहे हैं क्योंकि देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल ने मुझे उनकी समस्या समझने को कहा था, जो मैंने समझी।"
उद्धव बोले, महाराष्ट्र अंधा नहीं, सब देख रहा है
उद्धव ने आगे कहा, "मैंने सत्ता के लिए गठबंधन किया है और इसमें छिपाने वाली कोई बात नहीं है। इस सत्ता के साथ मैं उन 164 विधानसभा क्षेत्रों को कुछ दे सकता हूं जहां शिवसेना के कार्यकर्ता लड़ने के लिए तैयार थे।" भाजपा के बराबर सीटों पर लड़ने के फॉर्मूले पर तैयार न होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र अंधा नहीं है और सबकुछ देख रहा है, कौन कैसे व्यवहार कर रहा है, कौन उनके साथ खड़ा है।"
उद्धव ने समझा किस तरफ बह रही है हवा
बता दें कि राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उद्धव ने राजनीतिक माहौल को समझते हुए गठबंधन में बने रहने का फैसला किया है। उन्हें पता है कि 2014 के बाद परिस्थितियां बदली हैं और भाजपा अपने चरम पर है। इसके अलावा अगर वह अकेले लड़ने का फैसला करते तो त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस-NCP गठबंधन के मुकाबले शिवसेना को सबसे ज्यादा नुकसान होता। वहीं उनके नेताओं के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने का खतरा भी था।
उद्धव को उम्मीद, सत्ता और जिम्मेदारियों में मिलेगी बराबर हिस्सेदारी
इस बीच अपने इंटरव्यू में उद्धव ने उम्मीद जताई की शिवसेना आगामी विधानसभा चुनाव में अपने इतिहास में सबसे अधिक सीटें जीतेगी। उन्होंने कहा, "भले ही जितनी सीटों पर शिवसेना लड़ रही है वो न्यूनतम हो, लेकिन ये सबसे अधिक सीट जीतने की शुरूआत भी होगी।" उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद उन्हें सत्ता और जिम्मेदारियों में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी, जैसा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन करते वक्त वादा किया गया था।
राजनीति से सन्यास लेने के सवालों का भी दिया जवाब
उद्धव ने अपने राजनीतिक भविष्य पर कहा कि उनके बेटे आदित्य ठाकरे के राजनीति में आने का मतलब ये नहीं है कि वह राजनीति छोड़ने जा रहा हूं। उन्होंने कहा, "जब तक मैं एक शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का बालासाहेब ठाकरे से किया वादा नहीं पूरा कर देता, तब तक मैं संन्यास नहीं लूंगा। मैं ऐसा करके रहूंगा।" आदित्य के मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने कहा चुनाव लड़ने का मतलब ये नहीं कि वह तुरंत मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को मतदान, 24 को परिणाम
बता दें कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि 24 अक्टूबर को परिणाम होगा। चुनाव में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस-NCP के गठबंधन से होगा। शरद पवार की NCP और कांग्रेस ने भी गठबंधन पर लड़ने का फैसला किया है और दोनों पार्टियां 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगीं। अभी राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार है और वो सत्ता में वापसी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं।