प्रचंड बहुमत के साथ मोदी की वापसी, जानें कहां क्या रहा हाल और सभी संबंधित आंकड़े
लोकसभा चुनाव के परिणाम में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रचते हुए 303 सीटों पर कब्जा किया है। उसके गठबंधन NDA को 351 सीटें हासिल हुई हैं। वहीं, कांग्रेस महज 52 सीटों पर सिमट कर रह गई और खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपने गढ़ अमेठी में हार गए। इसी के साथ नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं। आइए नतीजों से जुड़े सभी आंकड़ों पर नजर डालते हैं।
भाजपा को कुल 37.5 प्रतिशत वोट
अब तक सामने आए चुनावी आंकड़ों के मुताबिक, इस बार भाजपा का वोट शेयर 2014 चुनाव के मुकाबले 6.5 प्रतिशत बढ़ गया। 2014 में 31 प्रतिशत के मुकाबले उसे इस बार 37.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए। चुनाव में कुल 60.37 करोड़ लोगों ने वोट डाला, जिसमें से 22.6 करोड़ वोट भाजपा को गए। भाजपा के अपने 2014 में मिले वोटों के मुकाबले 32 प्रतिशत यानि 5.5 करोड़ अधिक रहे। 2014 में उसने कुल 17.1 करोड़ वोट हासिल किए थे।
कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली वृद्धि
चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में भी मामूली वृद्धि हुई और यह 19.3 प्रतिशत से बढ़कर 19.6 प्रतिशत हो गया। पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 1.17 करोड़ अधिक वोट हासिल हुए। 2014 में उसे 10.69 करोड़ वोट प्राप्त हुए थे।
17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आधे से अधिक वोट
भाजपा को 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश जैसा महत्वपूर्ण राज्य भी शामिल है। वहीं, 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसने क्लीन स्वीप किया। इनमें अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़ और दमन और दीव शामिल हैं। आंध्र प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य रहा, जहां 2014 के मुकाबले वोट प्रतिशत कम हुआ। राज्य में उसे 7.5 प्रतिशत कम वोट हासिल हुए।
इन राज्यों में भाजपा का शानदार प्रदर्शन
भाजपा ने यूपी की 80 में से 62 सीटों पर कब्जा किया, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की। राजस्थान की 25 में से 24 सीटों और मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर भी भाजपा ने कब्जा किया। बिहार की 40 सीटों में से 39 पर उसके गठबंधन NDA ने जीत दर्ज की। महाराष्ट्र की 48 में से 41 सीटों पर उसने और उसकी सहयोगी शिवसेना ने जीत दर्ज की।
कर्नाटक, बंगाल और ओडिशा में अप्रत्याशित प्रदर्शन
कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भाजपा का प्रदर्शन अप्रत्याशित रहा। पार्टी ने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, बंगाल की 42 में से 18 और ओडिशा की 21 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की।
कांग्रेस का केरल छोड़ हर जगह निराशाजनक प्रदर्शन
अगर 52 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस की बात करें तो 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसका सूपड़ा साफ हो गया। केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां परिणाम उसके लिए अच्छे रहे। राज्य की 20 सीटों में से 15 पर अकेले कांग्रेस ने कब्जा जमाया, जबकि उसने गठबंधन UDF के साथ मिलकर 19 सीटों पर कब्ज़ा किया। अमेठी में हार के बाद केरल के वायनाड से जीत राहुल गांधी के लिए लोकसभा जाने का रास्ता बनी।
कांग्रेस नेता विपक्ष पद हासिल करने के योग्य भी नहीं
कांग्रेस के 52 सीटों पर सिमटने से तय हो गया है कि उसे एक बार फिर लोकसभा में नेता विपक्ष का पद नहीं मिलेगा। नेता विपक्ष बनने के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम 55 सीटें होनी चाहिए।
क्षेत्रीय दलों का बुरा हाल
यह चुनाव क्षेत्रीय पार्टियों के लिए भी एक कड़े सबक के तौर पर सामने आया, खासकर मंडल आंदोलन से निकली उत्तर भारत की क्षेत्रीय पार्टियों के लिए। यूपी में जिस सपा-बसपा गठबंधन को भाजपा के लिए बेहद बड़ी चुनौती माना जा रहा था, वह मात्र 15 सीटों पर सिमट कर रह गई। विपक्षी दलों को चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए लामबंद कर रहे चंद्रबाबू नायडू का खुद अपने राज्य आंध्र प्रदेश में सूपड़ा साफ हो गया।
लालू की पार्टी का भी सूपड़ा साफ
बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD का भी सूपड़ा साफ हो गया। हालांकि, दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन शानदार रहा। ओडिशा में भी नवीन पटनायक की BJD ने भाजपा के उभार के बीच अच्छा प्रदर्शन किया।