बिहार में निकाली जा रहीं 3 राजनीतिक यात्राएं, जानें क्या है इनकी अहमियत
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सुर्खियों में छाई हुई है। यह यात्रा अपने अंतिम चरण में है और इसके पूरी होने में 318 किलोमीटर का सफर रहता है। उनकी इस यात्रा के बीच बिहार में भी तीन राजनीतिक यात्राएं हो रही हैं। पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहले से ही राज्य में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं, वहीं गुरुवार को नीतीश कुमार और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी यात्राएं शुरू कीं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा
देश के सबसे चर्चित चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर से बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं। इसमें वह 3,000 किलोमीटर का सफर तय करेंगे और यह 18 महीने तक चलेगी। यात्रा के तहत वह गांव-गांव जा रहे हैं और लोगों की समस्याओं को सुनकर उन्हें खुद से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा के बाद प्रशांत राजनीति में आ सकते हैं। इससे राज्य की राजनीति दिलचस्प होना तय है।
कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित बिहार कांग्रेस ने गुरुवार को राज्य में हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा शुरू की। बिहार कांग्रेस प्रमुख अखिलेश प्रसाद इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस यात्रा में शामिल हुए। वह लगभग सात किलोमीटर चले। यह यात्रा 20 जिलों से होते हुए 1,200 किलोमीटर का सफर तय करेगी और राज्य इकाई चाहती है कि राहुल गांधी इसे संबोधित करें।
यात्रा के जरिए क्या है कांग्रेस का लक्ष्य?
हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस बिहार में खुद को पुनर्जीवित करना चाहती है। अभी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन उसका राज्य में खासा प्रभाव नहीं है।
नीतीश कुमार की समाधान यात्रा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गुरुवार को अपनी समाधान यात्रा शुरू की। उनकी यह यात्रा 7 फरवरी तक चलेगी और इस दौरान वह 18 जिलों का दौरा करेंगे। वह यह यात्रा ऐसे समय पर करने जा रहे हैं जब हाल ही में उन्होंने भाजपा को छोड़कर RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हाथ थामा था, लेकिन RJD के साथ भी उनके रिश्ते सहज न होने की खबरें हैं। नकली शराब से मौत के मुद्दे पर भी वो घेरे में हैं।
यात्रा के माध्यम से क्या हासिल करना चाहते हैं नीतीश?
माना जा रहा है कि यात्रा के जरिए नीतीश एक बार फिर से आम जनता से कनेक्ट करना चाहते हैं और उसकी नब्ज पकड़ने की कोशिश में हैं। इसे 2024 लोकसभा चुनाव से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। नीतीश अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं जाहिर कर चुके हैं और विपक्षी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए उनका बिहार में मजबूत रहना बहुत जरूरी है।
क्यों राजनीतिक तौर पर अहम है बिहार?
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, जो 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं। पिछले चुनाव में यहां भाजपा और उसके सहयोगियों ने 39 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन तब नीतीश की JDU भी उसके साथ थी। अब JDU भाजपा से अलग हो गई है और नीतीश भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अगर वो अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहते हैं तो इससे भाजपा को नुकसान होगा।