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    पिछलग्गू बनने से "गोडसे" के साथ खड़े होने तक, प्रशांत किशोर के नीतीश पर तीखे हमले
    राजनीति

    पिछलग्गू बनने से "गोडसे" के साथ खड़े होने तक, प्रशांत किशोर के नीतीश पर तीखे हमले

    लेखन मुकुल तोमर
    February 18, 2020 | 01:50 pm 1 मिनट में पढ़ें
    पिछलग्गू बनने से "गोडसे" के साथ खड़े होने तक, प्रशांत किशोर के नीतीश पर तीखे हमले

    जनता दल यूनाइटेड (JDU) से बाहर निकाले जाने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। एक तरफ उन्होंने नीतीश को पितातुल्य बताया, वहीं दूसरी तरफ उन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार को किसी पिछलग्गू नेता की जरूरत नहीं है। महात्मा गांधी को मानने वाले नीतीश के भाजपा के साथ गठबंधन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते।

    हाल ही में JDU से बाहर किए गए थे प्रशांत किशोर

    विभिन्न पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने का काम करने वाले प्रशांत किशोर सितंबर, 2018 में JDU में शामिल हुए थे। इससे पहले 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने ही नीतीश के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी। लेकिन नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ नीतीश और पार्टी के रुख के खिलाफ जाकर मोदी सरकार की तीखी आलोचना करने के लिए उन्हें हाल ही में नीतीश ने पार्टी से बाहर निकाल दिया था।

    नीतीश ने बेटे की तरह रखा, मेरे लिेए पितातुल्य- प्रशांत

    नीतीश की कार्रवाई के बाद आज पटना में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश से उनका संबंध केवल राजनीतिक नहीं है और नीतीश ने उन्हें हमेशा बेटे की तरह रखा है। उन्होंने कहा कि वे भी नीतीश को पितातुल्य मानते हैं। पार्टी से बाहर निकालने के फैसले को सहृदय स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, "ये उनका एकाधिकार था। मैं उनके फैसले पर कोई सवाल नहीं करूंगा। उनके प्रति जो सम्मान था वो जारी रहेगा।"

    प्रशांत ने कहा, नीतीश के साथ मतभेद के दो कारण

    प्रशांत किशोर ने कहा कि उनके और नीतीश के बीच मुख्यतौर पर दो मतभेद हैं। उन्होंने कहा, "पहला कारण वैचारिक है। मेरे और नीतीश जी के बीच पार्टी की विचारधारा को लेकर कई बार बातचीत हुई है। नीतीश जी हमेशा कहते थे कि पार्टी गांधी, जेपी और लोहिया के सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकती... लेकिन अब पार्टी गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के प्रति नरम लोगों के साथ खड़ी है। मेरे लिए गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते।"

    गठबंधन में दयनीय स्थिति मतभेद का दूसरा कारण

    प्रशांत के अनुसार, नीतीश के साथ उनका दूसरा मतभेद भाजपा और JDU के गठबंधन में उनकी स्थिति को लेकर है। उन्होंने कहा कि 2004 की तुलना में आज गठबंधन में JDU की स्थिति ज्यादा दयनीय है। नीतीश पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "आपके झुकने से भी बिहार का विकास हो रहा होता तो मुझे आपत्ति नहीं है... लेकिन इतने समझौते के बाद भी बिहार में कितनी तरक्की हो गई है? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला?'

    "15 सालों में नहीं बदली बिहार की स्थिति, आज भी वहीं"

    नीतीश को घेरते हुए प्रशांत ने कहा कि 15 साल में बिहार में खूब विकास हुआ है, लेकिन विकास की रफ्तार और आयाम ऐसे नहीं रहे हैं, जिससे बिहार की स्थिति बदली हो। उन्होंने कहा कि बिहार आज भी वहीं हैं जहां 2005 में था और झारखंड को छोड़कर बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। शिक्षा, बिजली, गरीबी, स्वास्थ्य, औसत आयु आदि के मोर्चे पर अन्य राज्यों से तुलना करते हुए उन्होंने बिहार के विकास पर सवाल खड़े किए।

    नीतीश से किया सवाल- पिछलग्गू बनकर कुर्सी पर रहना है या...

    प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार लालू राज से तुलना कर अपने विकास का गुणगान करते हैं लेकिन वे हरियाणा-गुजरात के विकास से तुलना क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि किसी का पिछलग्गू बनने से बिहार की स्थिति नहीं बदल सकती और इसके लिए एक मजबूत नेता की जरूरत है। उन्होंने नीतीश से सवाल किया कि वे बिहार का नेतृत्व करना चाहते हैं या किसी का पिछलग्गू बनकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं।

    "हम ऐसा नेता चाहते हैं जो सशक्त हो, पिछलग्गू नहीं"

    प्रशांत ने कहा, "नीतीश ने बिहार यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए सबके सामने हाथ जोड़े थे लेकिन इस पर रिप्लाई तक नहीं आया। हम ऐसा नेता चाहते हैं जो सशक्त हो, बिहार के लिए अपनी बात कहने में किसी का पिछलग्गू न बने।'

    20 फरवरी से शुरू करेंगे 'बात बिहार की' यात्रा

    अपनी प्रेस कॉन्फ्रेस में प्रशांत ने 20 फरवरी से 'बात बिहार की' यात्रा शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत अगले 100 दिन प्रशांत बिहार के गांव-गांव जाकर एक करोड़ ऐसे युवाओं से मिलेंगे जो बिहार को भारत के शीर्ष 10 राज्यों में देखना चााहते हैं। किसी भी पार्टी से जुड़ने की बात से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वे चुनाव लड़ने और लड़ाने के लिए नहीं आए हैं और जब तक जिंदा हैं बिहार की सेवा करते रहेंगे।

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