कांग्रेस की हिमाचल जीत में पुरानी पेंशन योजना रही अहम, अन्य राज्यों में भुनाने की तैयारी
क्या है खबर?
कांग्रेस ने अच्छी रणनीति और पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने की गांरटी की मदद से हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया है और सरकार बनाने जा रही है।
क्या हिमाचल में मिली इस जीत ने कांग्रेस को आगामी चुनावों के लिए कोई मंत्र दे दिया है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की मानें तो कुछ ऐसा ही है और पार्टी OPS के मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनावों में भुनाने के लिए तैयार है।
परिचय
क्या है पुरानी पेंशन योजना?
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी निकाले गए वेतन के 50 फीसदी के बराबर पेंशन मिलती थी। इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी।
इसमें छह महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) भी लागू होता था।
2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने सेना को छोड़ बाकी लगभग सभी विभागों के लिए इस योजना को खत्म कर नई पेंशन योजना को लागू कर दिया था।
नई पेंशन योजना
नई पेंशन योजना का क्यों हो रहा विरोध?
नई राष्ट्रीय पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी सैलरी के साथ-साथ महंगाई भत्ते की कटौती होती है। इस योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा भी शामिल नहीं है।
योजना के तहत कर्मचारी अपनी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं, वहीं राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान करती है।
पेंशन का यह पूरा पैसा PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है। इससे कर्मचारी असुरक्षित महसूस करते है।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना पर क्या कहा?
कांग्रेस के एक नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, "हिमाचल में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं और सार्वजनिक क्षेत्र राज्य में रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत है, इसलिए चुनाव में पुरानी पेंशन योजना एक प्रमुख मुद्दा बन गया।"
माना जा रहा है कि कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा कर सकती है और उसका मानना है कि उसे इससे फायदा होगा।
विशेषज्ञ
पुरानी पेंशन योजना पर अर्थशास्त्रियों के क्या विचार?
अर्थशास्त्री इसे एक खराब राजकोषीय नीति के रूप में देखते हैं और उनका मानना है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने से वित्तीय सकंट खड़ा होगा।
उनके अनुसार, 2004 तक चलने वाली पुरानी पेंशन योजना के केंद्र में एक बड़ी असमानता थी, जिसमें काम करने वाली पीढ़ी के अंशदान का पेंशनभोगियों को भुगतान किया जा रहा था।
SBI समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का कहना है कि आर्थिक रूप से पुरानी पेंशन योजना विनाशकारी है।
सवाल
क्या कांग्रेस को अन्य राज्यों में मिलेगी सफलता?
एक ओर जहां अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने से राजकोषीय घाटा उठाना पड़ सकता है, वहीं कांग्रेस का तर्क है कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति होना आवश्यक है।
फिलहाल कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना की सहायता से हिमाचल प्रदेश में जीत का परचम लहरा चुकी है। इससे कांग्रेस नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं, लेकिन यह मुद्दा आगामी चुनावों में सफल साबित होगा या नहीं, यह वक्त ही बताएगा।