राजस्थान: क्या सचिन पायलट की इन तीन मांगों में उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया?
कांग्रेस से बगावत के बाद पार्टी ने सचिन पायलट को राजस्थान के उप मुख्यमंत्री तथा राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटा दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि सोमवार को राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से कहा गया था कि सचिन पायलट हमेशा उनके दिल में है और उनसे विवादों को सुलझाने के लिए वापस आने की अपील की गई है, लेकिन महज 24 घंटे बाद ही पार्टी ने उनके खिलाफ बड़ा एक्शन ले लिया है।
सचिन पायलट की तीन मांगों को पूरा नहीं कर सकती थी पार्टी
HT ने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं से बात कर सचिन पायलट के खिलाफ की गई कार्रवाई का कारण जानने का प्रयास किया तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि पायलट ने पार्टी के सामने तीन बड़ी मांगे रखी थी। पार्टी उन मांंगों को पूरा नहीं कर सकती थी। ऐसे में पार्टी ने इन मांगों को ब्लैकमेलिंग मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करना उचित समझा। यहां तक की पार्टी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद से भी हटा दिया।
अगले चुनाव में पायलट को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने की घोषणा
एक दिग्गज कांग्रेस नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर HT को बताया कि पायलट ने पार्टी के सामने पहली मांग यह रखी थी कि पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले उन्हें चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने की घोषणा करे। वह चाहते थे कि पार्टी सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा करे ताकि भविष्य में उनके मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में कोई परेशानी ना हो, लेकिन पार्टी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
पायलट समर्थित विधायकों को बड़ा पद दिए जाने की मांग
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने बताया कि पायलट ने पार्टी के सामने दूसरी मांग यह रखी थी कि उनका समर्थन करने वाले विधायकों को पार्टी में पूरा सम्मान मिले, यानी उन्हें बड़ा पद दिया जाए। इसमें पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह सहित अन्य विधायक शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने सभी विधायकों को मंत्री पद दिए जाने की मांग नहीं की, लेकिन वह चाहते थे कि उन्हें निगम या अन्य किसी निकायों का प्रमुख बना दिया जाए।
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को पद से हटाने की मांग
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने बताया कि पायलट ने पार्टी के सामने तीसरी मांग यह रखी थी कि महासचिव और राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को पद से हटा दिया जाए। उनका आरोप था कि पांडे का झुकाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर है और वह उनके स्वतंत्रता पूर्वक किए जाने वाले कार्यों में दखल देते हैं। ऐसे में उन्हें पद से हटाकर प्रदेश में स्थिति को सामान्य बनाया जा सकता है और दूसरा प्रभारी नियुक्त किया जा सकता है।
कांग्रेस पार्टी ने पायलट की मांगों को माना ब्लैकमेलिंग
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि पार्टी ने पायलट को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके अपनी मांगों पर अड़े रहने पर पार्टी ने इसे ब्लैकमेलिंग मान लिया। पार्टी का कहना था कि भविष्य में अन्य राज्यों में भी नेता इस तरह की मांग उठा सकते हैं। ऐसे में उनकी शर्तों को नामंजूर कर दिया। पायलट समर्थित एक नेता ने कहा कि अन्य राज्यों में कांग्रेस की सत्ता नहीं है तो पार्टी इस बात से क्यों डर रही है।
कांग्रेस ने किए पायलट को वापस लाने के प्रयास
राहुल गांधी के कार्यालय के अनुसार पायलट हमेशा राहुल गांधी के दिल में हैं और उनमें एक-दूसरे के लिए बहुत सम्मान और स्नेह है। मंगलवार सुबह भी कांग्रेस की बैठक शुरू होने से पहले भी उन्हें कई बार वापस आने के लिए फोन किया, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। जब राहुल गांधी ने उन्हें फोन नहीं किया तो प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन लगाया, लेकिन पायलट कैंप के अनुसार यह बातचीत सोनिया गांधी के माध्यम से नहीं थी।
सचिन पायलट के बैठक में नहीं पहुंचने पर की कार्रवाई
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने बताया कि पायलट को सुबह करीब 10:30 बजे आखिरी फोन किया गया था, लेकिन वह नहीं आए। इसके बाद पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी। इसके बाद पायलट के एक सहयोगी नेता ने कहा कि उन्होंने कभी भी कांग्रेस के खिलाफ न कुछ कहा और न कुछ किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया था जिसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना चाहिए था।