उत्तर प्रदेश के औरेया में सड़क हादसा, 24 प्रवासी मजदूरों की मौत, 22 घायल
उत्तर प्रदेश के औरेया जिले में हुए एक सड़क हादसे में 24 प्रवासी मजूदरों की मौत हो गई और 22 घायल हुए हैं। यह हादसा सुबह 03:30 मिनट पर हुआ, जब मजदूरों से भरा ट्रक दूसरे ट्रक से टकरा गया। ये सभी मजदूर लॉकडाउन के कारण राजस्थान में फंसे हुए थे और वहां से बिहार और झारखंड के अलग-अलग जिलों में जा रहे थे। पिछले कुछ दिनों में हुए सड़क हादसों में लगभग 100 मजदूरों की मौत हो चुकी है।
घायलों में से 15 की हालत गंभीर
औरेया की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने बताया कि 24 लोगों को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। इसके अलावा 22 लोग घायल थे, जिनमें से 15 की हालत गंभीर बनी हुई थी, जिन्हें सैफई PGI में रेफर किया गया है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने दिए घटना की जांच के आदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख जताते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की है। उन्होंने घायलों के उचित इलाज की व्यवस्था करने और घटना की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कानपुर के IG को तुरंत घटना के कारणों पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है। इसके बाद IG मोहित अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंचे और वहां मौजूद लोगों और अन्य अधिकारियों से घटना से जुड़ी जानकारी ली।
प्रधानमंत्री ने भी जताया दुख
इन वजहों से सड़कों पर चलने को मजबूर हैं मजदूर
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण अधिकतर इलाकों में काम-धंधे बंद है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में उनके पास घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। वहीं वाहन बंद होने के कारण वो पैदल, साइकिल या सामान ले जा रहे ट्रकों में छिपकर एक जगह से दूसरी जगह जाने को मजबूर है। इसके चलते बीते हफ्तों में सड़क हादसों के कारण मौत का शिकार हुए मजदूरों की संख्या बढ़ी है।
पिछले कुछ दिनों में हुए बड़े हादसों पर एक नजर
बुधवार को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हुए दो हादसों में क्रमश: आठ और छह मजूदरों की मौत हुई थी और 52 घायल हुए थे। मंगलवार को कानपुर देहात में मजदूरों का ट्रक हादसे का शिकार हुआ था। इसमें एक बच्चे समेत दो की मौत हुई और 60 लोग घायल हुए थे। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में हादसे में पांच मजदूरों की मौत और 11 घायल। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी 16 मजदूरों को रौंदती हुई निकली थी।
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को याद दिलाई उनकी जिम्मेदारी
इसी बीच शुक्रवार को एक बार फिर गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकारें ये सुनिश्चित करें कि कोई प्रवासी मजदूर पैदल अपने घरों की तरफ न जाएं। मंत्रालय ने सरकारों से इन मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को प्रबंध करने को कहा है। यह तीसरी बार है जब प्रवासी मजदूरों को लेकर राज्य सरकारों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई गई है। 11 मई को भी गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को ऐसा ही एक पत्र और लिखा था।
मजूदरों के लिए बस या ट्रेन का इंतजाम करें राज्य- केंद्र
गृह सचिव अजय भल्ला ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार ने प्रवासी मजूदरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों के संचालन की इजाजत दे दी है। अब यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की जिम्मेदारी है कि घर लौट रहे मजदूरों के लिए इनका प्रबंध किया जाएगा। राज्य सरकारों पैदल घर जा रहे मजदूरों को समझाकर उन्हें पैदल की बजाय बसों या ट्रेनों में सफर करने के लिए राजी करें।
बसों और ट्रेनों की सीमित उपलब्धता बड़ी चिंता
गौरतलब है कि दूसरे राज्यों में रह रहे मजदूरों के लिए बसों और ट्रेनों का प्रबंध तभी हो सकता है जब उनका गृह राज्य उनके आगमन की अनुमति दे दे। इसके अलावा बसों और ट्रेनों की सीमित उपलब्धता के कारण भी मजदूर पैदल और दूसरे वाहनों से यात्रा करने पर मजबूर है। पैदल घर जा रहे प्रवासी मजूदरों को सुरक्षित घर पहुंचाने और उन्हें खाना-पानी देने से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रद्द कर दिया।
मजदूरों को सड़क पर चलने से कैसे रोक सकते हैं- सुप्रीम कोर्ट
याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कोर्ट ने कहा कि वो कैसे मजदूरों को सड़क पर चलने से रोक सकती है और ऐसा कर पाना असंभव है। कोर्ट ने कहा कि मामले में कार्रवाई करना सरकार का काम है और वह इसमें कुछ नहीं कर सकती।