सीमित संसाधनों के बावजूद रेड जोन नागौर में ऐसे हो रही है ऑनलाइन पढ़ाई
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत में लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है। इस चरण में भी रेड जोन में आने वाले कई इलाकों को कोई छूट नहीं दी गई है।
ऐसे इलाकों में राजस्थान का एक जिला नागौर भी आता है। वहां लगातार संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
इतनी परेशानियों के बावजूद नागौर जिले में छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है।
आइए जानें किस प्रकार पढ़ाई कर रहे छात्र।
राष्ट्रीय रैंकिंग
पिछले साल राजस्थान ने राष्ट्रीय रैंकिंग में हासिल किया था पहला स्थान
नागौर की ग्राम पंचायत हुडील में दो व्हाट्सऐप ग्रुप बने हुए हैं। इनमें से एक ग्रुप माता-पिता का और दूसरा शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों का है।
इसमें छात्रों के लिए NCERT वीडियो के साथ-साथ यूट्यूब लिंक भी भेजे जाते हैं।
बता दें कि पिछले साल राजस्थान ने 8वीं के गणित और भाषा के रिजल्ट के लिए नीति आयोग के स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स में राष्ट्रीय रैंकिंग में टॉप किया था, जिसमें नागौर जिला का स्कोर सबसे अधिक था।
जानकारी
अभी तक इतने लोग हो चुके कोरोना वायरस से संक्रमित
अगर हम नागौर में कोरोना संक्रिमत मामलों की बात करें तो अभी तक 200 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इसके चलते यहां कई पाबंदियां जारी हैं।
प्रक्रिया
इस प्रकार छात्रों तक पहुंचाई जा रही सुविधा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नागौर के हुडील सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल और पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (PEEO) सुषमा का काम यह सुनिश्चित करना है कि व्हाट्सऐप ग्रुप्स में मैसेज सीधे शिक्षा विभाग से जाएं ताकि छात्रों को सही लिंक मिल सके।
उनका कहना है कि एक शिक्षक को पांच परिवार दिए गए हैं। जो उन्हें फोन करते हैं और भेजे गए असाइनमेंट और लिंक से होने वाली परेशानी के बारे में पूछते हैं।
जानकारी
शिक्षकों और छात्रों का लिया जाता है फीडबैक
इसके बाद वो शिक्षकों और छात्रों से फीडबैक लेती हैं और इसे ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को भेजती हैं। जहां से इस फीडबैक को जिले और फिर राज्य की राजधानी में भेजा जाता है ताकि आने वाली दिकत्तों को सुधारा जा सकता है।
चुनौतियां
शिक्षा विभाग के सामने आ रहीं ये चुनौतियां
स्कूल शिक्षा सचिव मंजू राजपाल का कहना है कि प्रदेश में कम से कम 13 लाख परिवार इन व्हाट्सऐप ग्रुप्स से जुडे हैं, लेकिन स्मार्टफोन आदि चीजों की कमी के कारण लगभग दो लाख लोग ही इसका फायदा उठा पाते हैं। इसके बावजूद शिक्षा विभाग बच्चों को पढ़ाने की कोशिश में लगा है।
बता दें कि नागौर कार्यक्रम राजस्थान सरकार के सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेज या SMILE का एक हिस्सा है।
बयान
कुछ न करने और टेलीविजन देखने से तो है बेहतर
माता-पिता के व्हाट्सऐप ग्रुप में से एक तीन साल की बच्ची की मां सरिता कुमावत का कहना है कि वह अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए अपने फोन पर आने वाली लिंक की मदद लेती हैं।
उनका कहना है कि इससे पहले वे अपनी बेटी को फोन का ज्यादा उपयोग नहीं करने देती थीं, लेकिन अब उनकी बच्ची कितनी भी देर फोन चला सकती है। यह कुछ न करने और टेलीविजन देखने से तो बेहतर है।