राजस्थान: खुली बगावत के बाद उप मुख्यमंत्री पद से हटाए गए सचिन पायलट
पार्टी से खुली बगावत के बाद कांग्रेस ने सचिन पायलट को राजस्थान के उप मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस बात की जानकारी दी। पायलट उप मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख भी थे। उन्हें इस पद से भी हटा दिया गया है और गोविंद सिंह डोटासरा उनकी जगह लेंगे। पायलट का साथ देने वाले विशवेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्री पद से हटा दिया गया है।
पायलट की प्रतिक्रिया- सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं
विधायक दल की दूसरी बैठक में भी पायलट के न पहुंचने पर कांग्रेस ने लिया फैसला
आज पायलट और उनके सहयोगियों के राजस्थान विधायक दल की दूसरी बैठक में हिस्सा न लेने के बाद कांग्रेस ने ये फैसला लिया है। पहली बैठक कल हुई थी और उसमें भी पायलट शामिल नहीं हुए थे। 'NDTV' की रिपोर्ट में कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पायलट मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे थे और कांग्रेस नेतृत्व ने बातचीत शुरू करने से पहले उनके सामने आज बैठक में शामिल होने की शर्त रखी थी।
कांग्रेस ने कहा- सरकार गिराने के लिए पायलट को फुसला रही थी भाजपा
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, विधायक दल की बैठक खत्म होते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पायलट और उनके सहयोगी तीन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने के आधिकारिक अनुरोध के साथ राज्यपाल के पास रवाना हो गए। वहीं सुजरेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार गिराने के लिए भाजपा षडयंत्र कर रही है और कांग्रेस को इस बात पर खेद है कि पायलट और उनके साथी भाजपा के जाल मे फंस गए।
सुनें क्या बोले सुरजेवाला
2018 से ही आमने-सामने थे पायलट और गहलोत
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रिश्ते 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से ही सहज नहीं हैं। चुनाव से पहले अपनी मेहनत के इलाज के तौर पर पायलट मुख्यमंत्री का पद चाहते थे, लेकिन बाजी गहलोत के हाथ लगी। दोनों के बीच ये टकराव पिछले हफ्ते तब चरम पर पहुंच गया, जब राज्य सरकार गिराने की साजिश के एक मामले में पायलट को गहलोत के अंतर्गत काम करने वाले स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) से समन मिला।
समन के बाद पायलट ने की बगावत
इस समन के बाद पायलट ने गहलोत सरकार के साथ खुली बगावत कर दी और अपने कुछ समर्थकों के साथ दिल्ली आ गए। उनके खेमे ने अपने साथ 30 विधायक होने का दावा किया और कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। इसके बाद गहलोत ने कल अपने आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई जिसमें पायलट के दावे के विपरीत कांग्रेस के 107 में से लगभग 100 विधायक शामिल हुए। इस बैठक के जरिए गहलोत ने शक्ति प्रदर्शन किया।
कल ही कांग्रेस ने कहा था- पायलट के लिए दरवाजे हमेशा खुले
इस बीच कांग्रेस लगातार पायलट को वापस लाने की कोशिश करती रही और उसने कहा कि पायलट के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले हैं। हालांकि वह अपने इस प्रयास में नाकाम रही और पायलट अपने फैसले पर अडिग रहे, जिसके बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री और राज्य प्रमुख के पद से हटा दिया गया। खबरों के अनुसार, अब पायलट का कांग्रेस छोड़ना लगभग तय है। हालांकि ये देखना होगा कि वह भाजपा में जाते हैं या अलग पार्टी बनाते हैं।