समकोणासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इससे जुड़ी सावधानियां और अन्य महत्वपूर्ण बातें
ऐसे कई रोग हैं जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर खत्म कर देते हैं। हालांकि, योग को अपनाकर शरीर को इस तरह के कई तरह के रोगों की चपेट में आने से बचाया जा सकता है। योग में कई तरह के आसन होते हैं और आज हम आपको समकोणासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इसकी अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं। चलिए फिर जानते हैं।
समकोणासन करने का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब सांस छोड़ते हुए और कूल्हे को मोड़ते हुए अपने शरीर को 90 डिग्री तक नीचे झुकाएं और हाथों से कंधों की सीध में रखने कोशिश करें। ध्यान रखें कि इस दौरान घुटने नहीं मुड़ने चाहिए। इसी अवस्था में धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी को किसी अंग में दर्द रहता है या फिर किसी तरह की चोट लगी है तो वह इस आसन का अभ्यास न करें क्योंकि इससे उसकी परेशानी बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त, अगर किसी को उच्च रक्तचाप या फिर माइग्रेन की समस्या है तो वह भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचें। हर्निया, गैस्ट्रिक अल्सर और हृदय रोग जैसी बीमारियों के जूझने वाले भी इसका अभ्यास न करें। गर्भवती महिलाएं भी इसका अभ्यास करने से बचें।
रोजाना समकोणासन का अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे
इस आसन से साइटिका की समस्या से राहत मिल सकती है। यह आसन कूल्हों, पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाता है। इस आसन से पेट के अंदरूनी तंत्र को मजबूती मिलती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती प्रदान करता है। यह आसन हृदय के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह आसन मानसिक एकाग्रता, सोचने और समझने की शक्ति को बढ़ाने में भी मददगार है।
अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें। इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें। इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें। इसके अलावा, इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींचे क्योंकि जबरदस्ती करने से चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।