प्रणामासन: सूर्य नमस्कार आसन का महत्वपूर्ण भाग है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
प्रणामासन सूर्य नमस्कार आसन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य उगते हुए सूरज का स्वागत करने और उसकी ऊर्जा को ग्रहण करने से है।
इसलिए सूर्य नमस्कार की शुरूआत इस आसन की जाती है और अंत भी।
अन्य योगासनों की तरह ही इस आसन के नियमित अभ्यास से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
आइए आज हम आपको इस आसन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं ताकि आपको इससे भरपूर फायदा मिल सके।
अभ्यास
प्रणामासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर एकदम सीधे खड़े हो जाएं।
अब दोनों हाथों को जोड़ते हुए अपने सीने के करीब लाएं। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
इसके बाद इस मुद्रा में कुछ मिनट 'ओम मित्राय नम:' मंत्र का उच्चारण करें, फिर इस आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें।
ध्यान रखें कि जब आप सूर्य नमस्कार आसन के आखिर में इस आसन का अभ्यास करें तो 'ओम भास्कराय नम:' मंत्र का उच्चारण करें।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां
वैसे तो इस आसन के अभ्यास से किसी भी तरह चोट लगने का खतरा नहीं है, लेकिन अगर आपको पहले से कोई समस्या है तो इस आसन का अभ्यास न करें।
उदाहरण के लिए अगर आपको रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर में दर्द हो तो इस योगासन को करने का प्रयास न करें।
इसके अतिरिक्त, अगर आपके हाथ में चोट लगी हो तो इस योगासन का अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
फायदे
प्रणामासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप हर रोज प्रणामासन का अभ्यास करते हैं तो यह पैरों की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है। इसी के साथ ही यह जोड़ों, घुटनों, टखनों, कूल्हों और कलाईयों आदि की क्षमता भी बढ़ाता है।
इसके अलावा, यह शरीर और दिमाग को स्थिर रखने में मदद करता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
शरीर को आराम देने और शारीरिक पॉश्चर को सुधारने में भी यह योगासन अहम भूमिका अदा करता है।
खास टिप्स
प्रणामासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप प्रणामासन को अपने रूटीन में शामिल करने वाले हैं तो इसका अभ्यास हमेशा सुबह के समय ही करें।
हालांकि, अगर आप किसी कारणवश इसका अभ्यास सुबह के समय नहीं कर पाते हैं तो शाम के समय इसका अभ्यास करें और ध्यान रखें कि भोजन कम से कम चार से छह घंटे पहले कर लिया हो।
इस योगासन का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें और मुंह से सांस लेने का प्रयास न करें।