अष्टांग नमस्कार: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इससे जुड़ी सावधानियां और फायदे

अष्टांग नमस्कार एक ऐसा योगासन है, जिसका अभ्यास करते समय शरीर के कुल आठ अंग जमीन को स्पर्श करते हैं, इसलिए इस आसन को अष्टांग या आठ अंगों से किया जाने वाला नमस्कार भी कहा जाता है। वहीं, इस आसन को सूर्य नमस्कार योगासन की छठी मुद्रा का स्थान मिल हुआ है। बता दें कि आपके लिए नियमित तौर पर अष्टांग नमस्कार का योगासन करना बेहद लाभदायक हो सकता है तो चलिए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं, फिर अपने हाथों को पसलियों के पास ले आएं। अब एक गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों, दोनों घुटनों, दोनों हथेलियां, सीना और ठोड़ी से ही जमीन को स्पर्श करें। ध्यान रखें कि इस दौरान अन्य सभी अंग हवा में उठे हुए रहेंगे। इसके बाद इस मुद्रा में कुछ मिनट 'ओम पूषणे नम:' का उच्चारण करें, फिर धीरे-धीरे आसन को छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
अगर किसी को रीढ़ की हड्डी या फिर गर्दन में किसी तरह की समस्या हो तो वह इस आसन का अभ्यास न करें और अष्टांग नमस्कार का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इसके अतिरिक्त, स्लिप डिस्क, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के मरीज इस आसन का अभ्यास न करें। अगर इस योगासन का अभ्यास करते समय किसी भी अंग में दर्द महसूस हो तो तुरंत अभ्यास छोड़ दें।
अगर आप रोजाना अष्टांग नमस्कार का अभ्यास करते हैं तो इससे पाचन क्रिया पर सकारात्मक असर पड़ता है और इससे पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इसके अतिरिक्त, यह योगासन बिगड़े बॉडी पॉश्चर को जल्द से जल्द सुधारने में काफी मदद करता है। और शरीर में लचीलेपन को बढ़ाता है। इसके साथ ही यह योगासन मानसिक विकारों से भी काफी हद तक राहत दिला सकता है और एकाग्रता और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
अष्टांग नमस्कार का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए, लेकिन अगर आप शाम के वक्त यह आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम चार से छह घंटे पहले कर लिया हो। वहीं, बेहतर होगा कि शुरुआत में अष्टांग नमस्कार का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें और जब अच्छे से बनने लगे तो आप खुद भी यह आसन कर सकते हैं।