अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें

बिगड़ती जीवनशैली के साथ-साथ असंतुलित खान-पान शरीर को कई गंभीर बिमारियों का घर बना सकती हैं, जिनसे राहत दिलाने में कुछ योगासनों और प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास काफी सहायक हो सकता है। ऐसा ही एक प्राणायाम है अनुलोम विलोम प्राणायाम, जिसका नियमित रूप से अभ्यास करते रहने से कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है। चलिए फिर आज अनुलोम विलोम प्राणायाम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं, फिर अपनी दोनों आंखों को बंद करें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका वाली उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस लें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।
1) अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करते समय तेजी से सांस न लें बल्कि सांस की गति को सरल और सहज रखें। इसके अलावा, मुंह से सांस न लें। 2) प्राणायाम के दौरान उंगलियों को नाक पर बहुत हल्के से रखें क्योंकि वहां किसी भी दबाव लागू करने की कोई जरूरत नहीं है। 3) जिन लोगों को गंभीर हृदय रोग या फिर उच्च रक्तचाप की शिकायत है तो वे डॉक्टरी परामर्श के बाद ही इस प्राणायाम अभ्यास करें।
अगर आप रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो इसकी मदद से श्वसन प्रणाली और रक्त प्रवाह तंत्र से जुड़ी समस्याओं से काफी हद तक राहत मिलती है। इसके अलावा, यह प्राणायाम मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करता है। इसी के साथ यह नाड़ियों की शुद्धि करता है और उनको स्थिर करता है, जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर तरीके से होता है।
1) बेहतर होगा कि आप इस प्राणायाम का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको प्राणायाम का भरपूर फायदा मिल सकता है। 2) अगर आप पहली बार अनुलोम विलोम प्राणायाम कर रहे है तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें। 3) इस बात पर खास ध्यान दें कि अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के स्टेप सही हों क्योंकि अभ्यास के दौरान थोड़ी सी भी गलती समस्या का कारण बन सकती है।