भारत के पांच प्रसिद्ध मठ, जहां की खूबसूरती मोह लेगी आपका मन
भारत में कुछ ऐसे बौद्ध मठ हैं, जहां जाकर आपके मन को शांति मिल सकती है और आप सकारात्मक ऊर्जा को महसूस का अहसास करवाते हैं। यही नहीं, ये मठ आपको आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। सिक्किम, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में विभिन्न सुरम्य मठ हैं, जहां दुनिया भर से सैकड़ों पर्यटक आते हैं। आइए आज हम आपको भारत के पांच प्रसिद्ध मठों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।
तवांग मठ
अरुणाचल प्रदेश में 10,000 फीट के पहाड़ की चोटी पर स्थित तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। यह मठ एक किले जैसा दिखता है और इसके मुख्य प्रार्थना कक्ष को शाही शैली में खूबसूरती से सजाया गया है। किंवदंतियों के अनुसार, पांचवें लामा ने इस स्थान पर अपना लापता घोड़ा पाया था, जिसके बाद इस मठ का नाम तवांग पड़ा, जिसका अर्थ "चुना हुआ घोड़ा" है।
हेमिस मठ
लद्दाख में स्थित हेमिस मठ भारत के सबसे प्राचीन मठों में से एक है, जो 11वीं शताब्दी से अस्तित्व में आया है। इस मठ को 1652 में फिर से स्थापित किया गया था। यह प्राचीन अवशेषों, मूर्तियों, कलाकृतियों और उपाख्यानों के साथ-साथ पवित्र थांगका के लिए प्रसिद्ध है। इस मठ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जून से जुलाई तक है, जब हेमिस महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
नाम्द्रोलिंग मठ
जब आप कर्नाटक जाएं तो आपको खूबसूरत नामद्रोलिंग निंगमापा तिब्बती मठ की यात्रा अवश्य करनी चाहिए, जिसे "स्वर्ण मंदिर" भी कहा जाता है। इसमें मौजूद एक विशाल प्रार्थना कक्ष और एक नीली तस्वीर-परिपूर्ण पृष्ठभूमि के साथ मठ के अंदरूनी भाग आकर्षण केंद्र हैं। इस मठ के प्रार्थना कक्ष के मध्य में कुछ अद्भुत स्वर्ण बुद्ध मूर्तियां हैं, जो समग्र वातावरण में सुंदरता को जोड़ती हैं।
रुमटेक मठ
सिक्किम में लगभग 200 मठ हैं, जिनमें से रुमटेक मठ सबसे बड़ी और लोकप्रिय मठ है। यह भव्य मठ गंगटोक में स्थित है और इसका निर्माण नौवीं शताब्दी में किया गया था। आप चाहें तो इस मठ में व्याख्यान, कार्यशालाओं और पवित्र मंत्रोच्चार की कला में भाग ले सकते हैं। प्रसिद्ध तिब्बती नव वर्ष का आनंद लेने के लिए मई और जून के दौरान इस स्थान की यात्रा करें।
घूम मठ
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में समुद्र तल से 7,470 फीट की ऊंचाई पर स्थित घूम मठ देश के सबसे लोकप्रिय मठों में से एक है। इसका निर्माण लामा शेरपा ग्यालत्शो ने 1850 में किया था, जो इसे इस क्षेत्र के सबसे पुराने मठों में से एक बनाता है। इस मठ में प्राचीन बौद्ध धर्मग्रंथों के साथ 15 फीट लंबी भगवान बुद्ध की एक खूबसूरत मूर्ति है।