दिमाग में बनता है कचरा, वैज्ञानिकों ने बताया कैसे निकलता है बाहर
क्या आपको पता है कि दिमाग भी कचरा बनाता है? जी हां, जब दिमाग की लगभग 170 अरब कोशिकाएं काम करती हैं तो ये कचरा भी पैदा करती हैं। स्वस्थ्य बने रहने के लिए दिमाग इस कचरे को बाहर निकाल देता है। ऐसा कैसे होता है, यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ था। अब वैज्ञानिकों की 2 टीमों ने 3 ऐसे अध्ययन प्रकाशित किए हैं, जो बताते हैं कि दिमाग इस कचरे को कैसे बाहर निकालता है।
अध्ययन में क्या सामने आया?
प्रतिष्ठित नेचर पत्रिका में प्रकाशित इन तीनों अध्ययनों के अनुसार, नींद के दौरान धीमी इलेक्ट्रिकल तरंगें कोशिकाओं के आसपास मौजूद द्रव को दिमाग के अंदर से इसकी सतह के पास भेजती हैं। इसके बाद एक अन्य प्रक्रिया के जरिए द्रव में से कचरा खून में चला जाता है। खून इस कचरे को लिवर और किडनियों तक लेकर जाता है, जो इसे शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
लगभग 10 साल पहले के शोध पर आधारित हैं अध्ययन
2012-13 में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के जेफरी इलिफ और डेनमार्क के डॉ मैकेन नेडरगार्ड ने सबसे पहले यह बताया था कि दिमाग के आसपास मौजूद द्रव कचरे को बाहर निकालने के तंत्र का हिस्सा होता है। तब यह सवाल उठा कि दिमाग के अंदर मौजूद कचरा दिमाग और फिर शरीर से बाहर कैसे जाता है? जेफरी और मैकेन ने बताया था कि सोते हुए जानवरों में दिमागी द्रव तेजी से बहता है। ऐसा क्यों होता है, इसका कारण अब सामने आया।
दिमाग के अंदर से बाहर कैसे आता है कचरा?
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के जोनाथन किपनिस और उनकी टीम ने इलेक्ट्रिकल लहर पर शोध किया और फरवरी में नेचर में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि ये तरंगें सिग्नल के तौर पर काम करती हैं। अध्ययन के अनुसार, ये तरंगें न्यूरॉन्स को छोटी पंपों में बदल देती हैं, जो द्रव को दिमाग की सतह की तरफ धकेलती हैं। नेचर के इसी अंक में प्रकाशित एक दूसरे अध्ययन में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों की टीम ने भी यही बात कही।
खून तक इस तरीके से पहुंचता है कचरा
अब सवाल यह है कि ये कचरा उस सुरक्षात्मक झिल्ली को कैसे पार करता है, जो दिमाग को खून ले जाने वाली नसों से अलग रखती है। किपनिस और उनकी टीम ने कुछ हफ्ते पहले एक और अध्ययन प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया। अध्ययन के अनुसार, एक नस झिल्ली से होकर जाती है, जिसके आसपास एक आस्तीन होती है, जो कभी भी पूरी तरह से बंद नहीं होती। इसी के जरिए कचरा खून में जाता है।
अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का मिलेगा इलाज?
वैज्ञानिकों का मानना है कि दिमाग से कचरा निकालने के इस तंत्र को समझना अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों के इलाज में मददगार हो सकता है। हालांकि, अभी ज्यादातर शोध चूहों पर हुआ है और इंसानों पर अध्ययन बाकी है।