ऑस्ट्रेलिया: मानसिक रोगों के इलाज के लिए साइकेडेलिक्स को मंजूरी, ऐसा करने वाला पहला देश बना
ऑस्ट्रेलिया ने कुछ मानसिक रोगों के इलाज के लिए साइकेडेलिक्स (मतिभ्रम करने वाली दवाओं) के इस्तेमाल को कानूनी मंजूरी दे दी है। इस तरह का कदम उठाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है। ऑस्ट्रेलिया ने जिन दवाओं को मंजूरी दी है, उनमें MDMA (एक्सटैसी) और सिलोसाइबिन मशरूम जिसे मैजिक मशरूम भी कहा जाता है शामिल है। अवसाद से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए अब इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
कैसे किया जाएगा इलाज?
समाचार एजेंसी AFP से बात करते हुए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के मानसिक स्वास्थ्य शोधकर्ता डॉ. माइक मस्कर ने कहा, "मरीज को 5 से 8 सप्ताह में 3 तरह की थैरेपी से गुजरना होगा। हर थैरेपी करीब 8 घंटे तक चलेगी। इस दौरान मनोचिकित्सक पूरे समय रोगी के साथ रहेगा।" रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक थैरेपी की लागत करीब 54,000 रुपये तक हो सकती है। नशे की लत छुड़ाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
फरवरी में दवा को मिली थी मंजूरी
बता दें कि इसी साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया ने इन दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। तब देश के चिकित्सकीय प्रशासन ने दवा के परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए थे। इनमें कहा गया था कि चिकित्सकीय तौर पर नियंत्रित वातावरण में दवा को अपेक्षाकृत सुरक्षित पाया गया है। इन दवाओं के समर्थकों का कहना है कि मानसिक रोगियों के इलाज में जब दूसरे उपचार असफल हो गए हैं तो ये कदम निर्णायक साबित हो सकता है।
क्या हैं ये दवाएं?
दरअसल, MDMA एक सिंथेटिक दवा है, जिससे मतिभ्रम जैसा प्रभाव पैदा होता है। मैजिक मशरूम एक तरह का मशरूम होता है जिसमें सिलोसाइबिन नामक केमिकल होता है। आमतौर पर इन दवाओं को साइकेडेलिक ड्रग्स कहा जाता है। यह हमारी भवनाओं और अनुभूतियों को नियंत्रित करने का काम करती हैं और मूड को बदल सकती है। इस वजह से वास्तविकता और समय को लेकर हमारी समझ पूरी तरह बदल जाती है।
कदम का विरोध भी हो रहा है
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ये कदम जल्दबाजी में लिया गया है। मेलबर्न के स्विनबर्न विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुसान रोसेल ने कहा, "कैंसर या ह्रदय रोग जैसी किसी भी अन्य बीमारी के मामले में इतनी जल्दी किसी दवाई को मंजूरी नहीं मिली, जितनी जल्दी इस मामले में मिली है।" दरअसल, दवा लेने के बाद व्यक्ति कई बार खूबसूरत अनुभवों से गुजरता है तो कई बार डरावने। विशेषज्ञ इस आधार पर भी दवा पर सवाल उठा रहे हैं।