मेरुदंडासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें
मेरुदंडासन दो शब्दों (मेरुदंड और आसन) के मेल से बना है। इसमें मेरुदंड का अर्थ 'रीढ़ की हड्डी' है, वहीं आसन का मतलब मुद्रा है। इस योगासन का अभ्यास करना बहुत सरल है और इसे रोजाना करने से रीढ़ की हड्डी समेत पूरे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चलिए फिर आज हम आपको मेरुदंडासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इससे जुड़ी अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
मेरुदंडासन कैसे किया जाता है?
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे से दूर फैला लें। इसके बाद थोड़ा सा आगे की ओर झुकें और अपने दोनों हाथों से अपने दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। फिर अपनी रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से सीधा करें और दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठा लें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द या फिर हाथों में कोई परेशानी हो तो इस योगासन का अभ्यास न करें। गंभीर हृदय रोग और उच्च रक्तचाप आदि समस्याओं से पीड़ित लोगों को भी इस आसन के अभ्यास से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इस आसन के अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं क्योंकि इससे चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है। गर्भवती महिलाएं इस आसन का अभ्यास डॉक्टरी की सलाह के बाद ही करें।
मेरुदंडासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है। इस योगासन से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। यह आसन शरीर में जमी हुई अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी मदद करता है। इस योगासन से पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इस योगासन के अभ्यास से पीठ दर्द से राहत मिलती है। यह आसन तनाव जैसे मानसिक विकारों से भी राहत दिला सकता है।
आसन के अभ्यास से जुड़ी विशेष टिप्स
शुरूआत में इस आसन का अभ्यास योग गुरू की निगरानी में ही करें। अगर इस आसन का अभ्यास करते समय आप शरीर का संतुलन नहीं बना पा रहे हैं तो कुछ समय तक इस योगासन का अभ्यास दीवार के सहारे करें। इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से मेरुदंडासन का अभ्यास करें। इस योगासन का अभ्यास करते समय ढीले कपड़े पहनें।