साइनस के प्रभाव को कम करने में सहायक हैं ये एसेंशियल ऑयल, ऐसे करें इस्तेमाल

साइनस नाक से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें बंद नाक या नाक का बहना, सिर में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं। इससे ग्रसित लोगों का जीवन दवाइयों पर निर्भर होकर रह जाता है। हालांकि, साइनस से ग्रसित लोग चाहें तो कुछ एसेंशियल ऑयल्स का इस्तेमाल करके इस बीमारी के जोखिम प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं। आइए आज उन एसेंशियल ऑयल्स के बारे में जानते हैं।
नीलगिरी का तेल एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है, जो साइनस के लक्षणों को प्राकृतिक रूप से दूर करने में मदद कर सकते हैं। यह साइनस के कारण होने वाले सिरदर्द को कम कर करने समेत वायुमार्ग को भी खोल सकता है। लाभ के लिए नीलगिरी के तेल को नारियल के तेल ऑयल या फिर जैतून के तेल के साथ मिलाएं, फिर इस मिश्रण को अपनी छाती पर हल्के हाथों से मलें।
लैवेंडर का तेल भी कई ऐसे गुणों से समृद्ध होता है, जो साइनस के प्रभाव को कम में मदद कर सकते हैं। दरअसल, लैवेंडर एसेंशियल ऑयल की सुंगध से दिमाग की नसों को आराम और शांत करके साइनस के सिरदर्द से राहत दिला सकता है। लाभ के लिए लैवेंडर ऑयल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डालें और इसे चालू करके अपने बिस्तर के पास रखें। इससे आपको बहुत जल्द ही राहत मिलेगी।
थाइम एक हर्ब है, जिससे बने तेल का इस्तेमाल काफी समय से साइनस के उपचार के लिए किया जाता आ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि थाइम के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो साइनस के प्रभाव को कम करने में सक्षम है। वहीं, इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल तत्व साइनस संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। लाभ के लिए रोजाना थाइम के तेल को कुछ मिनट के लिए सूंघे।
टी ट्री तेल कई ऐसे गुणों से समृद्ध होता है, जो साइनस के प्रभाव से राहत दिलाने में सहायक हैं। इसके लिए टी ट्री तेल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डालें और इसे चालू करके अपने पास रखें। हालांकि, अगर आपके पास डिफ्यूजर नहीं है तो आप एक रूई के टुकड़े पर थोड़ा सा टी ट्री तेल लगाकर उसे कुछ मिनट के लिए सूंघे। यकीनन इसका असर आपको जल्द दिखाई देगा।