आपदा प्रबंधन ने बताया भूस्खलन से सुरक्षित रहने के तरीके, आप भी जानिए
क्या है खबर?
पहाड़ी जगहों पर भूस्खलन होने की संभावना काफी अधिक रहती है, इसलिए पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को इससे सुरक्षित रहने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने ट्वीट के जरिए बताया है कि भूस्खलन से पहले, इसके दौरान और इसके बाद क्या-क्या करना चाहिए ताकि आप इस आपदा से बचे रह सकें।
आइए आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
आपदा
भूस्खलन क्या है?
भूस्खलन एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें चट्टानों, मिट्टी और वनस्पतियों का किसी ढलान से नीचे की ओर खिसकने लगती है और कई किलोमीटर तक फैल जाती है, जिसके कारण जन-धन की हानि हो सकती है।
बता दें कि गुरुत्वाकर्षण, वनों की कटाई, ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, तेजी से चलने वाली हवा, जलवायु, सड़कों का निर्माण, जलाशयों और बांधो का निर्माण कार्य आदि के कारण भूस्खलन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
भूस्खलन से पहले
भूस्खलन के लिए ऐसे रहें तैयार
भूस्खलन से जुड़ी ताजा जानकारियां प्राप्त करने के लिए अखबार पढ़े, रेडियो सुनें या फिर टीवी देखें।
अगर आपके इलाके में भूस्खलन की आधिकारिक चेतावनी जारी हो गई है तो इसके बाद घर में रहें और बाहर जाने से बचें।
कमजोर इमारतों, पत्थरों में दरारें और नदी में मटमेला पानी आ जाने को भी भूस्खलन के आने की चेतावनी समझें और जानकारी दें।
अधिक से अधिक पेड़ लगाएं ताकि उनकी जड़ों के जरिए मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।
भूस्खलन के दौरान
भूस्खलन आने पर करें ये काम
शांत रहें, घबराएं नहीं और अफवाहों से दूरी बनाकर रखें।
अपने परिजनों के साथ रहने का प्रयास करें।
वहीं, अगर आप कहीं बाहर हैं और अपने आसपास से असामान्य आवाज जैसे पेड़ों का गिरना या पत्थरों का खिसकना सुनें तो तुरंत उस रास्ते व ढलान से दूर हो जाएं।
इसके अतिरिक्त, अपने नजदीकी तहसील या जिला कार्यालय से संपर्क करें ताकि भूस्खलन से अन्य लोगों को सुरक्षित रखने की ओर काम किया जा सके।
भूस्खलन के बाद
भूस्खलन के बाद इन बातों का रखें ध्यान
भूस्खलन के जाने के बाद खुले सामानों, बिजली की तारों और खंभों को छूने की गलती न करें।
जिस जगह पर भूस्खलन आया था, उसके रास्त और ढलानों से दूर रहें।
भूस्खलन के कारण घायल हुए या फिर इसमें फंसे लोगों पर ध्यान दें और प्राथमिक उपचार दिए बिना किसी भी घायल व्यक्ति को इधर-उधर न ले जाएं।
कुएं, नदियों और झरनों आदि से दूषित पानी न पिएं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस (बोनस इंफो)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि NDMA ने भारत के हिमालयीय राज्यों, उत्तर पूर्व के आराकान-योमा बेल्ट, मेघालय के पठार, पश्चिमी घाट और नीलगिरी पहाड़ियों को भूस्खलन के सर्वाधिक संभावित क्षेत्रों में रखा है।