आज मिले 16 और शवों के साथ इडुक्की भूस्खलन में मरने वालों का आंकड़ा 42 पहुंचा
केरल के इडुक्की में हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों का आंकड़ा 42 पहुंच गया है। रविवार को मलबे की सफाई के दौरान 16 और शव मिले हैं। पर्यटन के लिए मशहूर शहर मुन्नार के राजामलई इलाके में हुए इस हादसे में 20 घर तबाह हो गए हैं। कई घर अभी भी कीचड़ और चट्टानों के नीचे दबे हुए हैं। अब कचरे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित कुत्तों की मदद ली जा रही है।
शुक्रवार की अल सुबह हुआ था हादसा
अधिकारियों ने बताया कि हादसे वाली जगह के पास कुल 78 लोग रह रहे थे। इनमें से 12 को जिंदा बचा लिया गया था और 42 के शव मिल चुके हैं। बाकी की तलाश का अभियान जारी है। बताया जा रहा कि यह हादसा शुक्रवार अल सुबह हुआ, जब एक विशाल टीला वहां बने कच्चे घरों पर गिर गया। इनमें चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूर रुके हुए थे, जिनमें से अधिकतर तमिलनाडु के हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने हादसे पर जताया था दुख
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की दक्षिण भारतीय राज्यों की इंचार्ज रेखा नांबियार के नेतृत्व में 55 सदस्यीय टीम राहत कार्यों में जुटी हुई है। इसी बीच मौसम विभाग ने बारिश को लेकर इडुक्की, मल्लापुरम और वायनाड जिले में रेड अलर्ट जारी किया है। केरल के राजस्व मंत्री ई. चंद्रशेखर ने इस हादसे को 'बड़ी त्रासदी' बताया है और कहा है लोगों को बचाने का काम अभी जारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी हादसे पर दुख जताया था।
मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से किए गए ट्वीट में जानकारी दी गई है कि हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
केरल के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात
भारी बारिश, भूस्खलन और बांधों के दरवाजे खोले जाने के मध्य केरल में कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इससे कोट्टायम और अलपुझा के निचले इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुस गया है और सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा है। इन इलाकों से सैकड़ों परिवारों को राह कैंपों में भेजा गया है। रविवार सुबह कोट्टायम जिले में एक कार ड्राइवर समेत पानी में बह गई। NDRF ने तत्परता दिखाते हुए ड्राइवर को बाहर निकाला।
कोरोना संकट के कारण बनाए गए अलग-अलग राहत कैंप
कोरोना वायरस संकट के कारण प्रशासन ने अलग-अलग श्रेणी के लोगों के लिए अलग-अलग कैंप लगाए हैं। एर्नाकुलम जिले में अभी तक 1,200 से ज्यादा लोगों को इन कैंपों में ठहराया जा चुका है। इनमें से लगभग 1,100 साधारण कैंप में रह रहे हैं, जबकि 67 बुजुर्गों को 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए बने विशेष कैंपों में ठहराया गया है। ये कैंप लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे।