किडनी को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने और स्वस्थ रखने में सहायक हैं ये 5 योगासन
क्या है खबर?
किडनी शरीर में तरल पदार्थों के स्तर को नियंत्रित करने और खून को फिल्टर करने सहित विभिन्न कार्य करती है।
हालांकि, जब किसी कारणवश यह ठीक से काम नहीं करती है तो इससे शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे किडनी स्टोन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आइए आज हम आपको 5 ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिनका नियमित अभ्यास किडनी को प्राकृतिक तरीके से डिटॉक्स करने और स्वस्थ रखने में सहायक है।
#1
पश्चिमोत्तानासन
सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आपस में सटाकर आगे की ओर फैलाकर बैठें।
अब दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाएं, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें।
कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर गहरी सांस लेते हुए सामान्य हो जाएं।
यहां जानिए पश्चिमोत्तानासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
#2
पद्मासन
इसके लिए योगा मैट पर पैरों को सामने की ओर फैलाकर एकदम सीधा बैठ जाएं।
अब दाएं पैर को मोड़कर इसकी एड़ी को बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को मोड़कर इसकी एड़ी को दाईं जांघ पर रखें।
इसके बाद हाथों से ज्ञान मुद्रा बनाकर इन्हें घुटनों पर रखें और दोनों आंखों को बंद कर लें।
कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे आंखें खोलें और सामान्य हो जाएं।
#3
चक्रासन
चक्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
अब धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और एड़ियों को नितंबों से सटाएं, फिर कोहनियां मोड़कर हथेलियों को सिर के ऊपर से ले जाते हुए जमीन पर रखें।
इसके बाद सामान्य तरीके से सांस लेते हुए धीरे-धीरे सिर को उठाने के साथ-साथ पीठ को मोड़ने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
#4
बद्धकोणासन
बद्धकोणासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
अब पैरों को मोड़कर दोनों तलवों को आपस में मिला लें। इसके बाद दोनों हाथों से तलवों को पकड़ लें और दोनों घुटनों को आराम-आराम से तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे करें। इस दौरान सामान्य गति से सांस लेते रहें।
कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें।
#5
मंडूकासन का करें अभ्यास
इसके लिए योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें और फिर दोनों हाथों से मुठ्ठी बनाकर इन्हें अपनी नाभि के पास रख लें।
अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर इस तरह से झुकें कि नाभि पर मुठ्ठी का ज्यादा से ज्यादा दबाव पड़े। इस दौरान सिर और गर्दन ऊपर उठाए रखें।
धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते हुए इस स्थिति को बनाए रखें। इसके बाद धीरे-धीरे आसन छोड़ दें और आराम करें।