बच्चों में कैसे करें दूसरों के प्रति सहानुभूति और स्नेह रखने की आदत का विकास?
कुछ बच्चों के अंदर दूसरों के प्रति सहानुभूति और स्नेह की भावना बिल्कुल नहीं होती है, जो एक गलत आदत है। इसकी वजह से पेरेंट्स को रोजाना अपने बच्चे की शिकायतें भी मिल सकती हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए पेरेंट्स को शुरुआत से ही बच्चों की परवरिश पर ध्यान देना चाहिए। आइए आज हम आपको बच्चों के मन में दूसरों के प्रति स्नेह की भावना का विकास करने के पांच तरीके बताते हैं।
बच्चों की जिंदगी से जुड़े रहें और उनसे बातचीत करें
पेरेंट्स कितने भी व्यस्त क्यों न हों, उन्हें हमेशा अपने बच्चों की जिंदगी में शामिल रहना चाहिए और उनकी गतिविधियों पर ध्यान देते रहना चाहिए। अपने बच्चों को जानने के लिए पेरेंट्स उनसे बात करें और उनकी बातें भी सुनें। सख्त लहजे के बगैर बच्चों को समझाएं कि उन्हें दूसरों के प्रति बदमाशी या मारपीट नहीं बल्कि प्यार और सहानुभूति की भावना रखनी चाहिए। इसके अलावा बिना जजमेंटल हुए बच्चों की भावनाओं और विचारों को समझने की कोशिश करें।
दूसरों के प्रति सहानुभूति रहने की आदत सिखाएं
अगर किसी बच्चे को दूसरों को डराना या उनके साथ मारपीट करना ठीक लगता है तो इसका मतलब है कि उनके अंदर सहानुभूति की कमी है। इसी वजह से वह बगैर कुछ सोच-समझे दूसरों को चोट पहुंचाते हैं या परेशान करते हैं। बच्चों को ऐसा नहीं करने के लिए उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि उनका व्यवहार दूसरों को कैसे प्रभावित कर सकता है और अगर वही स्थिति उनके साथ हुई तो उन्हें कैसा लगेगा।
अपने बच्चों के दोस्तों को भी जानें
कभी-कभी आपके बच्चे ऐसी संगति में रहते हैं जिसकी वजह से उनके अंदर डराने-धमकाने वाला व्यवहार आ जाता है। इस वजह से पेरेंट्स को अपने बच्चों के दोस्तों को भी जानने की जरूरत होती है कि उनका व्यवहार कैसा है। आप जब भी बच्चों की जन्मदिन की पार्टी में उनके दोस्तों को आमंत्रित करें तो उनके और उनके साथ अपने बच्चे के व्यवहार पर जरूर नजर रखें।
डराने-धमकाने वाली हरकत में बारे में सही जानकारी दें
पेरेंट्स के लिए अपने बच्चे को यह समझाना जरूरी है कि डराना-धमकाना वास्तव में क्या है और इससे दूसरे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि दूसरों को गाली देना, मारना, चिढ़ाना, अफवाह फैलाना, साइबरबुलिंग करना गलत आदतों में आते हैं। बच्चे को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करें और उन्हें सिखाएं कि गलत काम कभी भी संघर्षों को हल करने का तरीका नहीं है।
बच्चों पर चिल्लाने की बजाय उन्हें प्यार से समझाएं
पेरेंट्स होने के नाते आपको अपना आपा खोए बिना और बगैर किसी गलत शब्द का इस्तेमाल किए ठंडे दिमाग से अपने बच्चों को चीजें समझानी चाहिए और परिस्थितियों को संभालना चाहिए। बच्चे संवेदनशील और अप्रत्याशित होते हैं। कभी-कभी उन्हें अपने द्वारा किए गए गलत काम पर बुरा लगता है और कभी नहीं लगता है। इसके लिए उन्हें सजा देने की बजाय उनके साथ परिपक्वता से पेश आएं और उन्हें स्थिति की गंभीरता और उसके परिणामों के बारे में समझाएं।